रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य कितना समृद्ध है यह बताने की जिम्मेदारी अब आखर की है. जिसकी शुरुआत आज से हो गई है. आखर के माध्यम से प्रदेश ही नहीं देश और दुनिया के लोग छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों से रूबरू हो पाएंगे. लोग जान पाएंगे कि छत्तीसगढ़ी सहित राज्य की कई भाषाओं में लेखन का इतिहास कितना पुराना रहा है, कब से राज्य की मातृभाषाओं में यहाँ के साहित्यकारों ने लिखना शुरू किया और क्या कुछ उन्होंने लिखा है, लिख रहे हैं.

इस दिशा में आज आखर का पहला कार्यक्रम उस साहित्यकार के साथ हुआ जिन्हें छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रथम उपन्यासकार कहा जाता है. बात राज्य के नामी साहित्यकार शिवशंकर शुक्ल की हो रही है. शिवशंकर शुक्ल आज आखर के पहले कार्यक्रम के पहुना थे. इस कार्यक्रम में शिवशंकर शुक्ल से बातचीत को आगे बढ़ाने का काम किया लेखक संजीव तिवारी ने.

शिवशंकर शुक्ल ने छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध बनाने भरपूर काम किया है. उन्होंने छत्तीसगढ़ी को साहित्य में एक विशिष्ट जगह दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ी में पहला उपन्यास दियना के अँजोर लिखा. इसके बाद उन्होंने मोंगरा उपन्यास लिखा, जो उनकी सबसे चर्चित कृतियों में से एक रही है.

कार्यक्रम के संयोजक गौरव गिरिजा शुक्ला ने कहा कि – “मोर महतारी भासा छत्तीसगढ़ी हरय. छत्तीसगढ़ी ह आज हमर राज भासा बन चुके हे. हमर राज म छत्तीसगढ़ी के संगे-संग हल्बी, गोंडी, भतरी, कुड़ुख, सरगुजिया जइसे कई भासा बोले जाथे. मोर मन ये भाव कई बछर ले रहिस के छत्तीसगढ़ी भासा-साहित्य ऊपर घलोक कोई बड़का आयोजन करे जाए. जइसे हम कलम के नाम से हिन्दी साहित्य के ऊपर कार्यक्रम करथन.

मयँ अपन ये बिचार ल अपन संगी-साथी, गुरुजी मन ले साझा करेव. सबके मोला म असीस मिलिस अउ 8 जनवरी दिन सुकवार ले आखर के सुरवात होगे. आखर ले हमर मन के मंसा अतके हे के छत्तीसगढ़िया मन के संगे-संग पूरा देस-दुनिया के लोगन जानय के छत्तीसगढ़ी भासा-साहित्य कोनो भी साहित्य ले कम नइ हे. इहाँ  एक ले बढ़ के एक साहित्यकार अउ रचनाकार मन हे. आज के पीढ़ी के मन उमन ल जानय, मानय अउ छत्तीसगढ़ी भासा-साहित्य, साहित्यकार मन ऊपर गौरव करय. हम लगातार आखर ल जारी रखबो.”

नामी और भव्य होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र, शंकराचार्य विश्वविद्यालय के कुलपति एसएल निगम, प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डॉ. चितरंजन कर, पं. रविशंकर शुक्ल विवि में हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ. शैल शर्मा, रंगकर्मी जेपी शर्मा, साहित्यकार सरला शर्मा, शंकुतला तरार, वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे.

कार्यक्रम का आयोजन अभिकल्प फाउंडेशन सहित कई सहयोगी संस्थानों की ओर से किया गया था. कार्यक्रम का संचालन आखर के संयोजक गौरव शुक्ला ने किया. आभार अभिकल्प की सदस्य गरिमा तिवारी ने जताया.