दुर्ग। बीमा काटते समय किसान की कृषि भूमि को गलत गांव में दर्ज करने की वजदह से किसान फसल बीमा से वंचित हो गया. जिला उपभोक्ता फोरम ने बैंक की गलती को सेवा में निम्नता मानते हुए 83 हजार रुपये हर्जाना लगाया है.

जामगांव एम, तहसील पाटन निवासी किसान भानु प्रताप वर्मा ने बैंक ऑफ इंडिया, पदमनाभपुर दुर्ग शाखा से कृषि ऋण लिया था. उसकी कृषिभूमि पाटन ब्लॉक में ग्राम करगा, ग्राम रूही और ग्राम जामगांव एम में स्थित है, जिसके लिए उसके ऋण खाते से बीमा प्रीमियम की रकम बैंक ने काटी गई थी. 2017 में इन तीनों गांव में फसल उत्पादन में कमी हुई थी, जिसके बाद इन गांव के सभी कृषकों को फसल बीमा राशि प्राप्त भी हुई थी, लेकिन परिवादी को उसका फसल बीमा दावा भुगतान नहीं किया गया. बैंक अधिकारियों ने इस गलती की जिम्मेदारी बीमा कंपनी पर डाल दी.

थक-हारकर किसान ने जिला उपभोक्ता फोरम का रुख किया. बीमा कंपनी ने फोरम में तर्क दिया कि उसे परिवादी के नाम पर ग्राम कुथरेल, जिला दुर्ग में दर्ज भूमि के लिए बीमा प्रीमियम प्राप्त हुआ था. कुथरेल में फसल उत्पादन में कोई क्षति नहीं हुई थी, इस कारण परिवादी को क्षतिपूर्ति राशि नहीं दी गई. साथ ही बैंक ने कहा कि उसका काम केवल प्रीमियम काटना है, उसने तय मानक के अनुसार ही प्रीमियम काटा है, किंतु क्षतिपूर्ति का आंकलन सरकार और बीमा कंपनी करती है.

गलती के लिए बैंक को बताया उत्तरदायी

प्रकरण में पेश दस्तावेजों एवं प्रमाणों के आधार पर जिला उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने पाया कि संबंधित फसल बीमा योजना के नियमों के अनुसार प्रीमियम कटौती करने के बाद विधिवत रूप से बीमित कृषक की संपूर्ण जानकारी बीमा कंपनी को प्रदान करने के साथ पोर्टल पर अपलोड करने की जिम्मेदारी संबंधित बैंक की ही है जिसमें बैंक ने त्रुटि की. ऐसे में बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं है और बीमा योजना के नियमानुसार ग्राहक को पहुंची क्षति की भरपाई के लिए बैंक ही उत्तरदायी हैं.

दावा राशि के साथ देना होगा ब्याज

जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने सेवा में निम्नता के लिए बैंक ऑफ इंडिया, पद्मनाभपुर दुर्ग पर 83 हजार रुपए का हर्जाना लगाते हुए आदेश पारित किया. इसमें बैंक ऑफ इंडिया को बीमा दावा राशि 70 हजार 9 सौ 96 रुपए, कृषक की मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार रुपए के अलावा वाद व्यय 2 हजार भुगतान करने का आदेश दिया, साथ ही बीमा राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी देना होगा.