दिल्ली. सोशल मीडिया से आर्थिक अपराध अंजाम देने की घटनाएं वर्ष 2018 में 43 फीसदी बढ़ गई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसी सोशल साइट आर्थिक अपराधियों का नया निशाना बन गई है।

करेंट स्टेट ऑफ साइबरक्राइम-2019 की रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर हैकर सोशल मीडिया यूजरों की निजी जानकारी, डेबिट-क्रेडिट कार्ड का डाटा सोशल मीडिया के जरिये हैक कर रहे हैं। लगातार लीक हो रहे पासवर्ड से भी सोशल मीडिया यूजर की निजता का खिलवाड़ हो रहा है। आर्थिक अपराध के नए मामलों में 70 फीसदी को मोबाइल से डाटा चुराकर अंजाम दिया गया। रोजाना 82 नए संदिग्ध एप पकड़े जा रहे हैं, जो ग्राहकों का डाटा चुराने और आर्थिक अपराधों को अंजाम देने में इस्तेमाल होते हैं। 2019 में भी एप के जरिये साइबर धोखाधड़ी के मामलों में इजाफा होने की आशंका है। ज्यादातर लोग मोबाइल में एंटी वायरस का इस्तेमाल नहीं करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्र सरकार को फेसबुक, ट्विटर और वेब न्यूज पोर्टलों को आधार से जोड़ने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि देश में 3.5 करोड़ ट्विटर हैंडल और 32.5 करोड़ फेसबुक खाते संचालित हैं और प्रत्येक प्लेटफॉर्म में 10प्रतिशत खाते फर्जी हैं।