सत्यपाल सिंह राजपूत। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों का सौदा होने का खुलासा हुआ है. यह सौदा कोई और नहीं, बल्कि अस्पताल के ही डॉक्टर करते हैं. ऐसा कहना है निजी एंबुलेंस चालकों, उन चालकों का जो कि निजी अस्पताल तक अंबेडकर अस्पताल से मरीज पहुँचाने का काम करते हैं. वैसे इस बात को खुले तौर पर मेकाहारा के अधीक्षक विवेक चौधरी भी स्वीकारते हैं.

दरअसल जैसे ही हमारी टीम के पास ये सूचना आई कि अंबेडकर अस्पताल से निजी अस्पताल मरीजों को भेजने का एक रैकेट चल रहा हमने इस मामले की पड़ताल शुरू की. हम सीधे अंबेडकर अस्पताल पहुँचे. यहाँ हमने देखा कि अस्पताल परिसर में दर्जन भर से अधिक निजी एंबुलेंस खड़ी है. हमने इसे लेकर अस्पताल के कर्मचारियों से बातचीत की. बातचीत में कई चौकाने वाली बातें सामने आती गई. हालाँकि हमें जिस जानकारी की तलाश थी उसे जानने के लिए जरूरी था कि इस बात को खुद एंबुलेंस चालक कहे. लिहाजा अस्पताल के अंदर पड़ताल करने से पहले हमने बाहर पड़ताल शुरू कर दी.

कर्मचारियों से बातचीत के बाद हमारी टीम सीधे निजी एंबुलेंस के चालकों के पहुँची. हमने उनसे सबसे पहले सवाल किया कि आप लोग सरकारी अस्पताल में क्या करते रहते हैं ? क्या आप लोगों को यहाँ अंबेडकर अस्पताल की ओर से तैनात किया गया है ? क्या आप लोगों को यहाँ से मरीज असानी से मिल जाते हैं ? ऐसे तमाम सवाल हम उनसे पूछते गए. पहले एक-दो लोग जवाब देने के लिए सामने आए, फिर एक साथ करीब 10-12 चालक हमसे बातचीत को तैयार हो गए. उन्होंने सबसे पहले इस बात को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की, मीडिया वाले बिना उनका पक्ष जाने या बातचीत किए ख़बरें छाप देते हैं.

चालकों की नाराज़गी ज़ाहिर थी, हमने पहले उनसे उनकी शिकायतें सुनी, फिर हमने मूल सवाल किया. हमने पूछा कि क्या अंबेडकर अस्पताल में मरीजों का सौदा किया जाता है ? क्या यह सच है ? उन्होंने एक सुर में कहा, हाँ ! हमें यकीन नहीं हो रहा था, कि अंबेडकर अस्पताल अस्पताल में ऐसा कुछ हो रहा है. उन्होंने बताया कि अंबेडकर अस्पताल से निजी अस्पतालों को फोन जाता है, कुछ डॉक्टर कमीशन बेस पर काम करते हैं. कमीशन में 5 सौ या उससे अधिक मिलता है. इस बात की जानकारी अस्पताल के अधीक्षक को भी है. हमें यहाँ प्रति दिन 30 मरीज़ तक निजी अस्पताल लेकर जाते हैं. मतलब हर एंबुलेंस चालक के हिस्से दो से तीन मरीज आ जाते हैं.
                                                                    डॉ. विवेक चौधरी, अधीक्षक

यह सबकुछ बेहद चौंकाने वाला था. इस खुलासे के बाद हम बेहद हैरान थे. यकीन करना मुश्किल था कि इस तरह का कोई खेल, रैकेट अंबेडकर अस्पताल में चल रहा है. हम इस खुलासे की प्रमाणिकता को जाँचने के लिए सीधे अधीक्षक विवेक चौधरी के पास पहुँचे. हमने खुलकर विवेक चौधरी से इस विषय पर बात की. लेकिन यहाँ तो हम और भी चौंक गए. हमें लगा था कि विवेक चौधरी हमारे सवाल सुनकर नाराज़ हो जाएंगे, ठीक से बात नहीं करेंगे. लेकिन उन्होंने न सिर्फ़ सौदेबाज़ी के सच को स्वीकार किया, बल्कि यह भी बताया कि कुछ साल पहले उन्होंने इसी तरह की शिकायत पर दो डॉक्टरों को रंगे हाथों सौदेबाज़ी करते हुए पकड़ा था. उन पर एक लाख का ज़ुर्माना भी लगाया था. चौधरी का कहना है कि इसमें एक पूरा गिरोह काम कर रहा है. ये किसी एक काम नहीं है. इसमें डॉक्टर से लेकर नर्स, वार्ड बॉय, सुरक्षाकर्मी सहित निजी अस्पताल संचालक शामिल हैं. उन्होंने इस पूरे खेल लिए विभाग के एचओडी भी ज़िम्मेदार हैं. अगर एचओडी सहती होते तो इस पर नियंत्रण किया जा सकता है. इस मामले में अब ठोस कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं.