द‍िल्‍ली : इन दिनों निपाह वायरस ने आतंक मचा रखा है. अब तक इस वायरस से करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है. वायरस का कहर इस समय केरल के कोझिकोड़ में है. लेकिन ऐसे में लोगों के मन में यह भी प्रशन है कि क्या वे कहीं कुछ ऐसा तो नहीं कर रहे कि वो भी इस वायरस का शिकार हो जाएबता दें यह एक तरह का दिमागी बुखार है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक कमेटी बनाई है जो बीमारी की तह तक जाने में जुटी है. ऐसे में लोग अब जानने में लगे हैं कि आखिर निपाह वायरस है क्या? यह कैसे फैलता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?

जानवारों से इंसान में फैलता.. 

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के अनुसार निपाह वायरस (एनअईवी) एक ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है. यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है. इस वायरस का मुख्‍य स्रोत फ्रूट बैट यानी कि वैसे चमगादड़ हैं जो फल खाते हैं. ऐसे चमगादड़ों को फ्लाईंग फोक्स के नाम से भी जाना जाता है.

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1998 में हुई पहचान

इस वायरस की सबसे पहले पहचान 1998 में मलेश‍िया के “कैंमपंग सुनवाई” के निपाह इलाके में हुई थी. उस वक्‍त वहां दिमागी बुखार का संक्रमण था. यह बीमारी चमगादड़ों से इंसानों और जानवरों तक में फैल गई.  बताया जाता है  कि इस बीमारी की चपेट में आने वाले ज्‍यादातर लोग सुअर पालन केंद्र में काम करते थे. यह वायरस ऐसे फलों से इंसानों तक पहुंच सकता है जो चमगादड़ों के संपर्क में आए हों. यह संक्रमित इंसान से स्‍वस्‍थ्य मनुष्‍य तक बड़ी आसानी से फैल सकता है. इसके बाद 2001 में बांग्‍लादेश में भी इस वायरस के मामले सामने आए. उस वक्‍त वहां के कुछ लोगों ने चमगादड़ों के संपर्क वाले खजूर खा लिए थे और फिर यह वायरस फैल गया.

वायरस के लक्षण  
निपाह वायरस के लक्षण दिमागी बुखार की तरह ही हैं. बीमारी की शुरुआत सांस लेने में दिक्‍कत, भयानक सिर दर्द और फिर बुखार से होती है है. इसके बाद दिमागी बुखार आता है. संक्रमित चमगादड़ों, संक्रमित सुअर या संक्रमित व्‍यक्ति के संपर्क में आने से निपाह वायरस फैलता है.

निपाह वायरस का इलाज 
अब तक निपाह वायरस का कोई वैक्‍सीन नहीं बन पाया है. इस वायरस का एकमात्र इलाज यही है कि संक्रमित व्‍यक्ति को डॉक्‍टरों की कड़ी निगरानी में रखा जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार चमगादड़ों की लार या पेशाब के संपर्क में न आएं. खासकर पेड़ से गिरे फलों को खाने से बचें. इसके अलावा संक्रमित सुअर और इंसानों के संपर्क में न आएं. जिन इलाकों में निपाह वायरस फैल गया है वहां जाने से बचें.