अजय शर्मा,भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्तार मलिक का नाम सुनते ही लोग खौफ खाने लगते थे. साल 1982 से आज तक अपराध की दुनिया में अपना सिक्का चलाने वाले मुख्तार मलिक का आज अंत हो गया. मुख्तार और अपराध का चोली दामन का साथ था. जहां मुख्तार की आमद होती थी, वहां अपराध भी आमद दर्ज करा ही देते थे. आलम यह रहा अपने अपराध की दुनिया से शुरुआत से लेकर अभी तक मुख्तार मलिक के खाते में 2 जिलों में ही 60 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. कभी आम अपराधियों की तरह मारपीट से अपने रोजनामचे से शुरुआत करने वाले मुख्तार मलिक के खाते में कई संगीन अपराध दर्ज है. हत्या, लूट, डकैती, हत्या के प्रयास, अपहरण, जमीन विवाद, प्रॉपर्टी विवाद और मकानों के कब्जे खाली कराना समेत कई अपराध मैं मुख्तार की तूती बोला करती थी. राजस्थान के झालावाड़ में हुए गैंगवार में मुख्तार मलिक की मौत हो गई है. लल्लूराम डॉट कॉम आपको बताएगा कि मुख्तार ने कब कैसे कौन से अपराध किये है और उनसे जुड़े कई रोचक किस्से.

भोपाल में गैंगवार कल्चर शुरू किया

देशभर में मुख्तार मलिक का नाम तब चर्चा में आया, जब उन्होंने राजधानी भोपाल में साल 1996- 97 में सबसे सुरक्षित माने जाने वाली जिला अदालत शहजनाबाद में गैंगवार को अंजाम दिया. मुख्तार मलिक और एक अन्य बदमाश मुन्ने पेंटर के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हुई. यह गैंगवार  अदालत के आंगन में जाकर थमी. जहां पर दोनों ओर से भरी अदालत के बीच किसी फिल्मी दृश्य के समान ताबड़तोड़ 25 राउंड से ज्यादा फायर हुए. पूरे अदालत का नजारा अफरातफरी का था. इस गोलीकांड में दो लोगों की मौत हो गई. दोनों ओर से दो दर्जन बदमाश आमने सामने थे. इस गैंगवार में पुलिस पूरी तरह से निहत्थी अपराधियों को देख रही थी और अपराधी बंदूकों से खेलते नजर आ रहे थे.

यह मामला जितना सनसनीखेज था इसका पटाक्षेप उतना ही नाटकीय तरीके से हुआ. पूरे मामले में पुलिस की भूमिका किसी कठपुतली की तरह रही. जिसका दोनों कुख्यात बदमाशों ने जमकर फायदा उठाया. मामला जिला अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक की दहलीज तक पहुंचा. सबसे रोचक बात गैंगवार की रही. इसमें शामिल दोनों बदमाश एक दूसरे की जान के प्यासे थे. मुख्तार मलिक और मुन्ने पेंटर कोर्ट रूम से सजा-ए-मौत सजा सुनने के बाद पुलिस सुरक्षा को धता बताते हुए स्कॉर्पियो कार से एक साथ फरार हो गए. पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी दोनों पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े, फिर मामला निचली अदालत जिस अदालत में भोपाल में गैंगवार हुआ उसी में पहुचा, तो दोनों बदमाशों को सप्तम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आनंद मोहन खरे ने उसी अदालत से बाइज्जत बरी कर दिया सबूतों के अभाव में. यह गैंगवार भोपाल पुलिस के इतिहास के पन्नों में पहली गैंगवार के रूप में दर्ज की गई.

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ठोकिया गिरोह में गहरी पैठ

उत्तरप्रदेश के चित्रकूट में अपराध का पर्याय माने जाने वाले ठोकिया गिरोह के सरगना कुख्यात डकैत ददुआ मुख्तार मलिक के बेहद करीबी रिश्ते थे. भोपाल में पहली गैंगवार की वारदात को अंजाम देने के बाद पहली बार मुख्तार को शरण देने का काम ददुआ ने किया था. ददुआ के इशारे पर मुख्तार उनके लिए शहरी नेटवर्क के तौर पर काम किया करता था. ऐसा करके मुख्तार ने अपनी पैठ भोपाल समेत समूचे प्रदेश और उसके बाहर भी बनाना शुरू कर दी थी.

बीजेपी और कांग्रेस नेताओं से रिश्ते

मुख्तार मलिक ने कई बार सार्वजनिक रूप से पुलिस के बड़े अधिकारियों के सामने कबूल नामा भी किया था,कि उसके बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं. वह रिश्तो के दम पर ही हर बार कानून को चकमा देता रहा है. चुनावी मौसम में दोनों ही दलों के नेता उससे हर तरह की मदद लेते रहें.यही कारण है कि 60 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज होने के बावजूद भी मुख्तार बेरोकटोक अपराधों की दुनिया का बादशाह था और अपराधों को लगातार बेलगाम तरीके से अंजाम देता रहा था.

मुख्तार को नहीं था पुलिस का खौफ

ऐसा नहीं है कि पुलिस ने कभी मुख्तार मलिक पर शिकंजा नहीं कसा. पुलिस ने कई बार मुख्तार के ठिकानों पर छापे की कार्रवाई को अंजाम दिए.  मुख्तार मलिक और उसके गुर्गों का आम लोगों के बीच से खौफ खत्म करने के लिए पुलिस ने सरेराह उसका जुलूस निकाला. उससे जुड़ी हुई संपत्ति और घरों पर बुलडोजर भी चलाए, लेकिन मुख्तार की अपराध की दुनिया में सिक्का चलता रहा. यही कारण रहा कि मुख्तार मलिक पर भोपाल के तलैया, बिलखिरिया, एमपी नगर, शाहजहानाबाद, मिसरोद, जहांगीराबाद, क्राइम ब्रांच, हबीबगंज, हनुमानगंज, कोहेफिजा, अशोक गार्डन और रायसेन जिले के अब्दुल्लागंज, सुल्तानपुर, मंडीदीप,गोहरगंज और उमरावगंज थाने के रोजनामचे मुख्तार की अपराध की दुनिया की काली करतूतों से पटे पड़े हैं.

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मुख्तार के घर बुलडोजर

कई अधिकारियों से सीधे संबंध

मुख्तार मलिक नाता सिर्फ अपराधियों से ही नहीं था, बल्कि उसके कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से निजी तालुकात थे. मुख्तार ने अपनी बदमाशी के दम पर जो रुतबा कायम किया था. उससे अफसर भी खौफ खाने लगे थे, तकरीबन 14 बार से ज्यादा मुख्तार मलिक को अलग-अलग कलेक्टर्स से जिलाबदर और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था. कई बड़े अधिकारियों से जमीन सौदे में मुख्तार सीधे तौर पर हाथ मिला चुके थे. उन्हीं के नेटवर्क के दम पर प्रदेश के दूसरे हिस्से में भी काम किया करते थे, वही अधिकारी भी कई बार अपराधियों को पकड़ने में मुख्तार की मदद लेते थे.

जेलर को भी नहीं छोड़ा था

अपराध की दुनिया में अपना खौफ खत्म होता देख मुख्तार मलिक ने एक बार फिर बदमाशों की दुनिया में अपना सिक्का कायम करने के लिए 24 नवंबर 2003 को भोपाल सेंट्रल जेल के तत्कालीन डिप्टी जेलर पीडी श्रीवास्तव पर हमला कर दिया. उसने इस वारदात को अपने शूटर तौफीक के माध्यम से अंजाम दिया था. श्रीवास्तव जब जेल से पैदल अपने घर जा रहे थे, तब हमले में बाल-बाल बचे थे. इस हमले के पीछे श्रीवास्तव की जेल में मुख्तार के बंद होने पर उनके ऊपर की गई सख्ती वजह बनी थी. मुख्तार पर श्रीवास्तव लगातार सख्ती करते थे और अन्य कैदियों पर भी जो मुख्तार को पसंद नहीं आयी. जमानत पर बाहर छूटने पर मुख्तार ने अपने साथी तौफीक के माध्यम से श्रीवास्तव पर जानलेवा हमला किया. जिसमें वह बाल-बाल बच गए थे. इसके बाद फिर ऐसा वक्त आया जब पीडी श्रीवास्तव भोपाल सेंट्रल जेल में पोस्टेड थे और एक बार फिर मुख्तार उसी जेल में पहुंचे. जब उसने फिर श्रीवास्तव से अपना ध्यान रखने की बात कहता और धमकाता रहा.

Mukhtar Malik
मुख़्तार और पीडी श्रीवास्तव

प्रॉपर्टी का काम और बांध की लीज

मुख्तार मलिक पिछले कई सालों से अपनी बदमाशी का पैटर्न बदल चुका था. वह बेवजह की वर्चस्व की लड़ाई में कतई नहीं पढ़ता था, बल्कि उसने प्रॉपर्टी के बाजार में हाथ आजमाना शुरू कर दिया था. पहले बिल्डरों के लिए वसूली का काम करने वाला मुख्तार मलिक अब करोड़ों की जमीन का मालिक और कई घरों का मालिक हैं. यही नहीं कई बड़े बिल्डरों के विवाद में उसका सीधा दखल रहता है. इसके साथ-साथ मुख्तार मलिक की जिस विवाद के चलते जान गई वह भी उनका एक पसंदीदा काम था मध्य प्रदेश के कई बड़े बांधों में मछली पालन का ठेका मुख्तार का पसंदीदा पेशा बन चुका था. इसी का विवाद सुलझाने के लिए झालावाड़ के पास एक बांध पर अपने साथियों के साथ हथियारों से लैस होकर मुख्तार गए हुए थे. जहां दो पक्षों में विवाद हुआ बांध पर कब्जे को लेकर और वही मुख्तार के पैर में गोली लगी. जिसके चलते उनकी मौत हो गई. मुख्तार ने पिछले कुछ अर्से में बदमाशी के दम पर करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी बनाई. अपराध की दुनिया में मुख्तार की बीवी का भी अपना रुतबा है.

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