नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण रोकने देश को बेसब्री से सुरक्षित वैक्सीन का इंतजार है. रुस और चीन ने प्रायोगिक तौर पर लोगों को वैक्सीन देना शुरू कर दिया है. लेकिन दुनियाभर के देशों ने दोनों देशों की वैक्सीन की सफलता को स्वीकार नहीं किया है. वहीं दूसरी ओर भारत में भी वैक्सीन पर तेजी से काम हो रहा है. भारत की देसी कोरोना वैक्सीन COVAXIN, जिसे भारत बायोटेक कंपनी बना रही है, वह सफलता के करीब पहुंच गई है. कोवैक्सीन के अंतिम चरण का ट्रायल जल्द ही शुरू हो सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत बायोटेक कंपनी ने कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए भारतीय दवा नियामक ‘ड्रग कंट्रोलर जनरल’ से मंजूरी मांगी है. डीसीजीआई ने कंपनी से दूसरे चरण के ट्रायल के डेटा की मांग की है, ताकि परिणाम की समीक्षा करने के बाद तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी दी जा सके. भारत बायोटेक ने हाल ही में इसके लिए आवेदन किया है.

सिफारिश करने वाली समिति ने अपनी चर्चा के दौरान इस बात पर गौर किया कि दूसरे चरण के ट्रायल में शामिल सभी समूहों ने वैक्सीन की खुराक को ठीक से सहन किया और अबतक कोई गंभीर बुरा प्रभाव सामने नहीं आया है. आम तौर पर वैक्सीन लगाए जाने के स्थान पर दर्द की शिकायत सामने आई थी, जिसका तोड़ निकाल लिया गया है. उम्मीद की जा रही है कि सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही इस देसी वैक्सीन के अंतिम चरण का ट्रायल शुरू होगा.

बता दें कि देश में तीन कोरोना वैक्सीन रेस में आगे चल रही है. कोवैक्सीन के अलावा अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडिला द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन जायकोव-डी भी दूसरे चरण के ट्रायल से गुजर रही है, जबकि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी द्वारा विकसित की गई वैक्सीन भी ट्रायल में असरदार साबित हो रही है. भारतीय अग्रणी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट इसे कोविशील्ड नाम से लॉन्च करने वाली है.