इमरान खान, खंडवा। मध्यप्रदेश में 15 नवंबर से लागू हुए पेशा कानून को लेकर सियासत शुरू हो गई है. खंडवा प्रवास पर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया ने इसे सरकार की नाटक नौटंकी बताया है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह सरकार 18 साल तक कहां सोई हुई थी ? पैसा कानून की मूल भावना को तोड़ मरोड़ कर नियमों में परिवर्तन कर इस कानून का महत्व ही खत्म कर दिया गया है.

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पेसा कानून को लेकर कांतिलाल भूरिया ने कहा कि पैसा कानून जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय इससे बनाया गया था. हम लागू करने वाले थे, लेकिन बीच में सरकार चली गई. अब भाजपा ने इस कानून को तोड़ मरोड़ कर दिया. इससे अलग तरह से पेश कर रहे हैं, जो गरीबों के हित में नहीं है. इसलिए अब इससे भाजपा को कोई फायदा होने वाला नहीं है. आने समय में कांग्रेस फिर से सरकार में आएंगी.

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बता दें कि पेसा कानून अधिनियम के अंतर्गत ग्राम सभा में एक ग्राम समिति होगी. समिति का अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति समुदाय की ही व्यक्ति होगा. ग्राम समिति ही ग्राम के अहम निर्णय लेगी. जैसे नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध, बाजारों की देख-रेख, ऋण वसूली, पलायन करने वालों की जानकारी रखना आदि. पेसा एक्ट आदिवासियों के लिए बने कानून की रीढ़ माना जाता है. एक्ट के तहत आदिवासियों की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता दी गई है. फिलहाल छत्तीसगढ़, मप्र, झारखंड, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, हिमाचल, राजस्थान, तेलंगाना और राजस्थान में यह पेसा कानून लागू है,

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