रायपुर। किसानों के संयुक्त संघर्ष समिति के आव्हान पर सोमवार को भारत बंद को लेकर छत्तीसगढ़ व रायपुर की जनता का भी अभूतपूर्व समर्थन मिला. जिसको लेकर किसानों ने जय स्तंभ चौक में प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में दिल्ली से किसान नेता डॉ. सुनीलम और सत्यवान भी पहुंचे हैं. जो छत्तीसगढ़ सरकार से किसान प्रदर्शन का सहयोग करने की मांग कर रहे हैं. किसानों का यह प्रदर्शन तीन केंद्रीय कृषि कानून बिल को लेकर है. किसानों ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताया है. इसी बीच समाज सेविका मेधा पाटकर भी किसान आंदोलन में शामिल होने राजधानी रायपुर पहुंची है.
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छत्तीसगढ़ के परिदृश्य पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों के हक में काम हो रहा है लेकिन अभी यहां और कई सुधार की जरूरतें हैं, जहां विकास के परियोजना की बात आती है, कोल ब्लॉक हटाने को दिए जाते हैं, नक्सलवाद का सामना करने के नाम पर कैम्प लगाए जाते हैं। हर जगह किसानों की जीवन प्रणाली पर हमला होता है उसे रोकने की जरूरत है, आदिवासियों के अधिकारों को दिलाने के लिए ग्राम सभा के स्तर पर विकेंद्रीकरण के साथ विकास का नियोजन करना चाहिए, आदिवासियों पर अत्याचार नहीं होना चाहिए, उनके साथ संवाद कर निर्णय लेना चाहिए, आदिवासी कहते हैं कि कैंप लगाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि नक्सलवादी नहीं है इन्हें अगर बघेल सरकार समर्थन नहीं देगी तो कौन देगा? जाति और मजहब के नाम पर आदिवासियों के बीच होने वाली घुसपैठ को रोकना चाहिए, आदिवासियों का मूल धर्म में प्रकृति है जिसका सम्मान करना चाहिए.
मेघा पाटकर ने धर्मांतरण को लेकर कहा कि एक अंतरिम रिपोर्ट हमने पेश की थी, जबरदस्ती धर्मांतरण नहीं होने देना चाहिए, स्वैच्छिक धर्मांतरण अगर होता है तो उसको आदिवासी संस्कृति पर कोई हमला ना होते हुए हमें स्वीकार करना चाहिए, राज्य सरकार अगर कानून भी प्रस्तावित करती है तो उसपर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं करेंगे, लेकिन आंदोलन के माध्यम से मोदी सरकार को झुकाना जरूरी है, जन संगठन और जन आंदोलनों के द्वारा बड़े परिवर्तन के मुद्दे उठाए जाएं.
राजिम में आज है किसान आंदोलन
आज राजिम में किसान महापंचायत का आगाज किया गया है. देश भर से किसान नेता इसमें शामिल होने के लिए राजिम पहुंच रहे हैं. किसान संयोजक मंडल के सदस्य सत्यवान भी इस महापंचायत में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं उन्होंने कहा कि लगातार हम 10 महीनों से केंद्र सरकार के सामने अपनी मांगों को रख रहे हैं, प्रमुखता से इन कृषि कानूनों पर ही चर्चा होगी किस तरीके से कृषि कानून जल्द से जल्द वापस लिए जा सके, इस पर भी चर्चा की जाएगी.
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