दुर्ग. पूरे विश्व में इस वक्त कोरोना महामारी को लेकर दहशत का माहौल है. इसी बीच दुर्ग कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने कोरोना किट बेचने की अनुमति दे दी है, जिसकी पूरे प्रदेश में चर्चा है.

कलेक्टर ने दुर्ग में चिरायुश एनजीओ को 5 हजार रुपए में ये कोरोना किट बेचने की अनुमति दी है. जबकि एनजीओ को ऐसी कोई भी दवा का किट बेचने की अनुमति देने के संबंध में नियम नहीं है.
ये किट मरीजों को दुर्ग का स्वास्थ्य विभाग अपने सीएमएचओ दफ्तर स्थित कोरोना कंट्रोल रूम से उपलब्ध करा रहा है, इस किट के पैसे एनजीओ ऑन लाइन अपने अकाउंट में मंगवा रहे है.

दुर्ग जिले में तमाम कोरोना मरीजों के बीच एनजीओ का नंबर वायरल हो गया है और इस किट की बिक्री धड़ल्ले से दुर्ग में की जा रही है.ये किट होम आइसोलेशन चाहने वाले कोरोना मरीजों को बिना डॉक्टर की सलाह के दिया जा रहा है, जिसमें विभिन्न प्रकार की दवाईयां मौजूद है.

ऐसे में सवाल उठता है कि बिना डॉक्टर के जांच किए कोरोना मरीजों को दवाई दिया जाना आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक है ? और कलेक्टर ने एनजीओ को कोरोना किट बिक्री की अनुमति देने से पहले स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव को इसकी जानकारी दी थी या नहीं ?  लल्लूराम डॉट कॉम ने चिरायुश हेल्थ एंड रिसर्च फाउंडेशन से भी पक्ष लेने फोन किया तो फोन उठाने वाली महिला ने कहा कि मैं एनजीओ की सदस्य हूं और समाज सेवा के लिए ये काम कर रहे है. नर्स और स्टॉफ कोरोना मरीजों का टैम्प्रेचर और दवा देने का काम करते है. ये सवाल पूछने पर कि किट बेचने की अनुमति किसने दी और अब तक कितने किट बेचे गए ? तो उन्होंने जवाब दिया कि मुझे ये नहीं पता मैं पूछकर बताती हूं और ये कहने के बाद उन्होंने फोन रख दिया.

इस पूरे मामले में दुर्ग कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे का कहना है कि संचालक स्वास्थ्य की तरफ से जारी एक पत्र में इस बात का जिक्र है कि निजी सेवाएं ली जा सकती है. इसी आधार पर सीएमएचओ स्तर पर किट बिक्री करने की अनुमति दी गई है. कलेक्टर ने ये भी बताया कि ये एनजीओ न केवल किट बेच रही है बल्कि डॉक्टर से भी जांच की सुविधा उपलब्ध करा रही है. ये दर प्रशासन की ओर से तय नहीं किए गए है, एनजीओ और मरीज के बीच का ये निजी मामला है. ये एनजीओ अभी 3 मरीज देख रही है, इसकी भी पुष्टि कलेक्टर ने की है.