नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार को जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी मोहम्मद अंसार शेख के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की. दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने शुक्रवार को ईडी निदेशक को पत्र लिखकर अंसार शेख की धन शोधन रोकथाम कानून के तहत जांच करने को कहा था. दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि अंसार ने गलत तरीके से बड़ी संपत्ति अर्जित की है और उसके पास जो भी अचल संपत्ति है, वह अपराध की आय के अलावा और कुछ नहीं है. जांच एजेंसी ने प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है, जो अंसार के खिलाफ प्राथमिकी की तरह है. सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस के अनुरोध पर मामला दर्ज किया गया है. ईडी के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम रोहिणी अदालत से उनकी कस्टडी रिमांड की मांग कर सकती है.

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अंसार शेख फिलहाल पुलिस रिमांड में

दिल्ली पुलिस अंसार शेख और अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पहले ही ईडी को कई अन्य आपत्तिजनक दस्तावेजों के साथ दे चुकी है. ईडी इस मामले में एक रिपोर्ट भी तैयार करेगा और इसे गृह मंत्रालय को सौंपेगा. अंसार फिलहाल पुलिस रिमांड में है. 16 अप्रैल को दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के अवसर पर शोभा यात्रा जुलूस के दौरान विभिन्न समुदायों के लोगों के दो समूहों के बीच झड़प हो गई थी. हिंसा में कम से कम 8 पुलिसकर्मी और एक स्थानीय निवासी घायल हो गया था. दिल्ली पुलिस ने रविवार को अंसार शेख को गिरफ्तार किया था. क्राइम ब्रांच यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि साजिश की जड़ें कितनी गहरी हैं.

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जहांगीरपुरी मामले में किशोर का बोन टेस्ट कराएगी पुलिस

दिल्ली पुलिस जहांगीरपुरी हिंसा मामले में गिरफ्तार एक नाबालिग की हड्डी का परीक्षण (बोन टेस्ट) कराने की तैयारी कर रही है. दिल्ली पुलिस को टेस्ट आयोजित करने की अनुमति के लिए रोहिणी अदालत में एक याचिका दायर करनी होगी, क्योंकि इसके लिए यह अनिवार्य है. सूत्रों ने कहा कि किशोर ने खुद को जेल जाने से बचाने के लिए कोई चाल चली हो सकती है और इसलिए वे परीक्षण कराना चाहते हैं. पुलिस ने कहा कि हमने उसे एक वयस्क के रूप में दिखाया था और उसका गिरफ्तारी ज्ञापन (अरेस्टिंग मेमो) भरा था. बाद में उसने दावा किया कि वह एक किशोर है. उसका परिवार अदालत पहुंचा और यह साबित करने के लिए उसके दस्तावेज जमा किए कि वह नाबालिग है. अदालत के आदेश के बाद आरोपी को जेजेबी भेजा गया. बाद में जेजेबी ने उसे बाल निगरानी गृह भेज दिया. अब पुलिस उसकी वास्तविक उम्र का पता लगाएगी. इसके लिए बोन टेस्ट करने की इजाजत के लिए पुलिस ने अदालत जाने का फैसला किया है. इतना ही नहीं, उसके दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी. दस्तावेज फर्जी पाए जाने पर परिवार के खिलाफ धोखाधड़ी का अलग से मामला दर्ज किया जाएगा.

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