चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह ईवी बैटरी के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कुछ ग्रेफाइट उत्पादों पर निर्यात प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. उसने कहा कि खनिज के निर्यात पर प्रतिबंध का यह फैसला उसके राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा से जुड़ा हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने यह प्रतिबंध अपने वैश्विक विनिर्माण प्रभुत्व को चुनौती देने के जवाब में उठाया है. वहीं, चीन ने बताया है कि अब इन ग्रेफाइट उत्पादों की खरीद करने वाले देशों को उसके निर्यात परमिट की आवश्यकता होगी. चीन दुनिया का शीर्ष ग्रेफाइट उत्पादक और निर्यातक देश है. यह दुनिया के 90% से अधिक ग्रेफाइट को उस सामग्री में परिष्कृत करता है जिसका उपयोग लगभग सभी ईवी बैटरी एनोड में किया जाता है, जो बैटरी का निगेटिव चार्ज वाला हिस्सा है.

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि “हाल के वर्षों में मांग बढ़ी है क्योंकि यह इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कच्चा माल है.” चीन ने 2022 में कुल विश्व ग्रेफाइट आपूर्ति का अनुमानित 65 प्रतिशत उत्पादन किया. देश के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “विशिष्ट ग्रेफाइट वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण लगाना एक आम अंतरराष्ट्रीय प्रथा है. दुनिया के सबसे बड़े ग्रेफाइट उत्पादक और निर्यातक के रूप में, चीन लंबे समय से नॉन-प्रोलिफरेशन (अप्रसार) जैसे अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को मजबूती से पूरा कर रहा है.”

चीन ने पहले ही कई खनिजों पर लगाया हुआ है प्रतिबंध

चीन ने गैलियम और जर्मेनियम पर 1 अगस्त से ही प्रतिबंध लगाया हुआ है. इन दोनों दुर्लभ खनिजों का इस्तेमाल ऊर्जा, चिप निर्माण और रक्षा उद्योगों में किया जाता है. चीन के इन प्रतिबंधों से पूरी दुनिया में गैलियम और जर्मेनियम का अकाल पड़ गया है. जहां ये धातुएं मौजूद भी हैं तो उनकी कीमत इतनी ज्यादा है कि उसका इस्तेमाल फायदे का सौदा नहीं है.