मनोज उपाध्याय, मुरैना। मध्य प्रदेश के मुरैना जिला से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। ये मामला किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। जिले में रहने वाली कमला देवी अपने वनरक्षक पति की मौत के 68 साल बाद भी पेंशन के लिए लड़ रही है। ऐसे में सरकारी सिस्टम पर कई सवाल खड़े हो रहें है।

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क्या है पूरा मामला
कमला देवी के पति चौखेलाल वनरक्षक थे, सन 1956 में ड्यूटी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। पिता की मौत के वक्त बेटा सिर्फ 11 महीने का था। कमला देवी को उनके भाई अपने गांव तुड़ीला ले आए, जहां उन्होंने अपनी बाकी की जिंदगी बिता दी। आज बेटा 68 साल का हो चुका है और मां पेंशन की लड़ाई लड़ते-लड़ते 88 साल की हो गई है। लेकिन आज भी उनकी आंखों में न्याय की दरकार है।

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पेंशन के बारे में नहीं थी जानकारी
ताज्जुब की बात तो यह है कि, कमला देवी को वन विभाग की ओर से यह तक नहीं बताया कि उन्हें पति की मृत्यु के बाद पेंशन भी मिलती है। कमला देवी को इस बात की जानकारी सन 1996 में लगी। जिसके बाद से उन्होंने कानूनी लड़ाई शुरू की। कमला देवी के 68 वर्षीय पुत्र बाबूलाल ने बताया कि, 1947 में माता पिता की शादी हुई। 1955 में मेरा जन्म हुआ और एक साल बाद ही पिता का निधन हो गया। मामा हमें पहारगढ़ से टुड़ीला ले आए। उन्होंने हमें 4 बीघा जमीन दी, लेकिन हमारे पास पैसे नहीं थे। कई दिन हमने ऐसे बिताए जिसमें पड़ोसी के घर पकवान बनते और हम बासी रोटी खाते। कमला देवी की लड़ाई पेंशन के साथ अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर भी है। जिसके लिए वे दर दर की ठोकरें खा रही है। अब देखना ये होगा कि उनकी ये लड़ाई कब खत्म होगी।

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