रायपुर । 26 नवंबर 2008 का मनहूस दिन कोई भी देशवासी नहीं भूल सकता है, जब मुंबई में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था. इस दिन देश की व्यावसायिक राजधानी आतंकी हमले से दहल गई थी. उस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. इसी हमले का एक दोषी थी आतंकवादी अजमल कसाब. वो बाद में जिंदा पकड़ा गया था और उसे पुणे के यरवदा जेल में पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद फांसी दे दी गई थी. कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया था देश की बहादुर बेटी देविका रोटावन ने. देविका को छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर आतंकी ने दाहिने पैर में गोली मारी थी. लेकिन बेहोश होने से पहले उसने कसाब का चेहरा देख लिया था. बाद में उसी की गवाही ने कसाब को फांसी की सज़ा दिलाने में अहम भूमिका निभाई.

देविका रोटावन रायपुर आई हुई हैं, जो उनका ननिहाल भी है.  तिरंगा वंदना मंच की ओर से मुक्ताकाशी मंच पर ‘मेरी शान तिरंगा है’ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वे यहां आईं. लल्लूराम डॉट कॉम से बात करते हुए उन्होंने 2008 के आंतकी हमले के उस भयावह मंजर को याद किया. साथ ही उन्होंने बताया कि किस तरह से उस दिन चारों ओर खून ही खून, लाशें ही लाशें बिछी हुई थीं. उन्होंने बताया कि कसाब के खिलाफ उसने कोर्ट में गवाही दी. लेकिन उसे रोकने के लिए धमकाया गया, करोड़ों रुपए भी ऑफर किए गए. लेकिन उसका ईमान नहीं डोला. उसके लिए देश सबसे पहले है और बाद में कुछ और है.

देविका रोटावन ने बताया कि जब 26/11 2008 का हमला हुआ था, तब उसकी उम्र महज़ 9 साल 11 महीने थी और उसे दाहिने पैर में गोली लगी थी. उसने अपने अनुभवों को साझा किया साथ ही कहा कि वो अंतिम सांस तक देश की सेवा करना चाहती है और बड़ी होकर आईपीएस ऑफिसर बनना चाहती है. फिलहाल वो 10वीं कक्षा में पढ़ रही है.

देविका के पिता नटवरलाल ने बताया कि 26 नवंबर उनके लिए सबसे बुरा दिन था. सीएसटी में हुए आतंकी हमले में उनकी बेटी देविका को भी गोली लगी थी. दाहिने पैर में लगी गोली ने उसे बैसाखी पर चलने को मजबूर कर दिया था. हालांकि अब वो ठीक है. नटवरलाल बताते हैं कि जिस दिन हमला हुआ वो  देविका और उसके भाई को लेकर पुणे जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. तभी वहां गोलीबारी शुरू हो गई. देविका को गोली लगी. वे तुरंत उसे लेकर सेंट जॉर्ज हॉस्‍पिटल ले गए. अगले दिन उसके पैर से गोली निकाली गई. उसके 6 ऑपरेशन हो चुके हैं.

हमले के आरोपी आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने वाली एकमात्र गवाह देविका रोटावन थी, जो किसी भी धमकी या प्रलोभन में नहीं आई. उसने कसाब को फांसी दिलाकर ही दम लिया. अब देविका की अपेक्षा है कि सरकार उसकी पढ़ाई-लिखाई से संबंधित सारी सुविधाएं मुहैया कराए और उसे आगे आने का मौका दे. साथ ही वो और उसके पिता चाहते हैं कि मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और अन्य आंतकवादी जैसे दाऊद इब्राहिम को सरकार भारत लाए और उन्हें सजा दिलाए.

देविका रोटावन ने युवाओं को संदेश दिया कि युवा कभी भी विपरीत परिस्थिति में नहीं घबराएं और देश की अस्मिता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करें.