रोहित कश्यप,मुंगेली। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का एक बार फिर बड़ा असर देखने को मिला है. 2 साल से समाज एवं गांव से बहिष्कृत परिवार को समाज में फिर से वापस सम्मान मिला है. खबर प्रकाशित होने के बाद बहिष्कृत परिवार को ना सिर्फ न्याय मिला है. बल्कि अब वह सामान्य व्यक्ति की तरह समाज में और गांव में रहने लगा है. वहीं पीड़ित संतन ने लल्लूराम डॉट कॉम से टेलीफोनिक चर्चा में मीडिया के दखल के बाद न्याय मिलने पर संतुष्टि जाहिर करते हुए रुंधे गले से लल्लूराम डॉट कॉम को उनकी आवाज बनने के लिए धन्यवाद दिया है.

दरअसल  मुंगेली जिले के पथरिया में सकेत चौकी अंतर्गत घाटोलीपारा निवासी सन्तन निर्मलकर एवं उनके परिवार को समाज के ठेकेदारों  एवं गांव के दबंगों ने 2 साल पूर्व न  सिर्फ समाज से बल्कि गांव से  बहिष्कृत कर दिया था. इस तुग़लकी फरमान का गांव में इस कदर हावी था कि संतन और उसके परिवार के सदस्यों से न तो कोई बातचीत करता था, ना कोई रोजी रोटी के लिए उन्हें काम देता और न ही गांव के दुकानदारों के द्वारा उसे और उसके परिवार के सदस्यों को किराना सामग्री दिया जाता था. यही वजह है कि संतन और उसके परिवार को जरूरत के सामान व रोजी रोटी के लिए पड़ोसी गांवो पर निर्भर रहना पड़ता था .जिसके चलते दाने-दाने को मोहताज संतन  एवं उनके परिवार की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी. वहीं पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला.

इस पूरे मामले को lalluram.com ने हाल ही में प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया. जिसके बाद हरकत में आए प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारियों ने घटोलीपारा गांव का रुख किया. जिसके बाद प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारियों ने लगातार ग्रामीणों की बैठक लेकर इस पूरे मामले की जानकारी ली गई और उन्हें समझाइश भी दी गई. जिसके बाद समाज के लोगों एवं ग्रामीणों ने लिखित में सन्तन एवं उनके  परिवार के साथ सामान्य  व्यवहार करने संबंधी पत्र प्रशासन एवं पुलिस को सौंपा है.

इस पूरे मामले में मुंगेली कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने  lalluram.com से बातचीत में कहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों को गांव में भेजकर  पूरे मामले की जानकारी ली गई वहीं ग्रामीणों को समझाइश देकर पीड़ित सन्तन  एवं उसके परिवार को उचित न्याय दिलाया गया. और अब वह आम आदमी की भांति गांव में जीवन यापन कर रहा है.

वहीं एडिशनल एसपी सीडी तिर्की ने कहा है कि पीड़ित पक्ष के शिकायत के आधार पर पूरे मामले की जांच कराई गई  जिसके बाद सामने आए तथ्यों के आधार पर दोनों पक्ष को समझाइश दी गई बहरहाल स्थिति सामान्य है एवं पीड़ित परिवार सामान्य जीवन यापन कर रहा है. वहीं ग्रामीणों के द्वारा उनके साथ समान व्यवहार करने संबंधी एक पत्र भी दिया गया है. पीड़ित पक्ष ने वैधानिक कार्यवाही चाहने के पक्ष में इंकार करते हुए बहिष्कृत जीवन बहाल करने की मांग की गई. जिसके आधार पर उनके द्वारा चाही गई उचित  न्याय  मुहैया कराई गई है.