लखनऊ. कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने केंद्र सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर पूछा है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित तीन सदस्यों की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट, जिसे 2 माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था, उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया? दूसरा प्रश्न इसके बावजूद मोदी सरकार ने आखिर क्यों मनमाने तरीके से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन करे बगैर विगत 18 जुलाई 2022 को 29 सदस्यीय एक और नई कमेटी के गठन की अधिसूचना जारी किया ?

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने मोदी सरकार पर तीखे हमले करते हुए आरोप लगाया कि 378 दिनों तक जाड़ा, गर्मी व बरसात निरंतर ‘‘तीन काले कृषि कानूनों’’ के खिलाफ चले आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने 2 माह के भीतर ही किसानों की समस्या का हल, बिजली मूल्य, न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए जाने का जो वायदे किए थे. परंतु उसे पूरा न करने की नियत से मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश में समय सीमा की बाध्यता ना होने को कूटनीतिक आधार बनाकर किसानों के साथ एक बार पुनः धोखा देने का काम किया है.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं की इस किसान विरोधी रणनीति से एक साल से ज्यादा समय तक चले क्रांतिकारी किसान आंदोलन को अपने बड़े-बड़े दावों और जुमलों के दम पर कुचल दिया. मोदी सरकार आज 7 माह बाद भी तत्कालीन गठित 3 सदस्य समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया. केंद्र की मोदी सरकार कृषि पैटर्न को बदलने, न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए जाने इत्यादि विचारो को लेकर एक नई 29 सदस्य विशेषज्ञ समिति का गठन करके किसान समस्याओं को हल करने के बजाय टालने की रणनीति अपनाया हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के वह राज्य जो किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र बिंदु बने थे, साथ ही वह किसान संगठन जो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे. इसके साथ ही कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि आंदोलन से संबंधित किसानों व किसान संगठनों को नजरअंदाज करना सरकार की किसान विरोधी सोच को स्पष्ट करता है कि किसानों के साथ धोखा केवल 7 महीने पहले ही नहीं हुआ था. 2014 में भाजपा ने घोषणा पत्र जारी कर 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था. परंतु मोदी सरकार ने आज तक किसानों से केंद्र और प्रदेश के चुनावों से पूर्व किए अपने एक भी वायदे को आज तक पूरा नहीं किया.

कांग्रेस प्रवक्ता श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने कृषि मंत्री को भेजे गए अपने पत्र में तीन काले कृषि कानून से सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तर प्रदेश समेत पंजाब, हरियाणा कृषि प्रधान प्रदेशों की घोर उपेक्षा को लेकर असंतोष व्यक्त किया है. उन्होंने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने अपने ‘‘उदयपुर संकल्प शिविर’’ मे किसानों के उत्थान में C2+50% (cost of captial) अधिक एमएसपी दिए जाने का नियम लागू किए जाने का निर्णय लिया था. इस लिहाज से प्रदेश कांग्रेस पार्टी ने स्वामीनाथन कमेटी की संस्तुति का समर्थन करते हुए कृषि मंत्री से मांग किया है कि किसानों को उसकी पूंजी की लागत तथा जमीन का किराया जोड़कर 50 प्रतिशत अधिक एमएसपी प्राप्त हो.

कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री कृषि फसल बीमा योजना की सच्चाई को उजागर करते हुए कहा 2016 से 2022 तक सामने आए आंकड़ों से पता चला है कि सिर्फ 5 साल में बीमा कंपनियों ने ₹40,000 रुपए का मोटा मुनाफा कमाया जबकि किसानों को लगातार घाटे का सामना करना पड़ा. ऊपर से जले पर नमक छिड़कते हुए सरकार ने कई फसलों के बीमा की राशि भी बढ़ा दी है. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ‘‘प्रधानमंत्री कृषि फसल बीमा योजना’’ किसानों के साथ धोखा और बीमा कंपनियों के लिए फायदे का सौदा बना दिया गया है. जिससे अब किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से भी मोहभंग हो चुका है.

उन्होंने बताया कि प्राप्त जानकारी के अनुसार धान के लिए प्रति एकड़ 713.99 से बढ़ाकर 749.69 रुपए और मक्का के लिए 356.99 से बढ़ाकर 734.85 रुपए, कपास के लिए 1731.50 से बढ़ाकर 1819.12 रुपए, बाजरा के लिए 33 5.99 से बढ़ाकर 352.79 रुपए प्रीमियम राशि कर दी गई है. हर सीजन में किसान की मर्जी के बिना उनके खाते से प्रीमियम काट लिया जाता है. लेकिन मुआवजा देने के लिए न सरकार आगे आती है, ना ही कंपनी. 2016-17 में प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना के शुरुआत से 2021-22 की खरीफ सीजन तक किसानों को दावे के रूप में मात्र 4,190 मिनट में प्रति हेक्टेयर का भुगतान किया गया है. अनुमान लगाया जा सकता है कि 1 एकड़ की फसल नष्ट होने पर किसान को मात्र ₹1676 ही मिला, जो आज की महंगाई को देखते हुए नगण्य हैं. वहीं बीमा कंपनियों ने अभी तक 40000 करोड रुपए का मुनाफा कमाया है.

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प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने प्रदेश की योगी सरकार को घेरते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि-किसानी अब आलाभकारी व्यवसाय रह गया है. मनरेगा मजदूरों को कई माह से वेतन नहीं दिया गया है. जीरो बजट की खेती को लेकर जो संघ की परिकल्पना थी वह केवल आज जनता और गरीब किसानों को भरमाने का नया प्रयास है. उत्तर प्रदेश के गरीब कृषक विशेषकर, पूर्वांचल व बुंदेलखंड क्षेत्र के किसान सरकारी ऋण न चुका पाने और बीमा की राशि न मिल पाने के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं. उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री को भेजे पत्र में मांग किया गया है उत्तर प्रदेश में अनेक कृषि उत्पादों को सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य की आवश्यकता है जिनके मूल्य समय-समय पर काफी ऊपर नीचे आते रहते हैं, उदाहरणार्थ टमाटर बैंगन प्याज भिंडी गोभी क्षेत्रीय फल फसल की उत्पादकता के अनुसार इस मौसम में न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर मूल्य बोले जाएं यदि उस फसल की पैदावार उस मौसम में अधिक होगी तो न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को किसी भी अप्रत्याशित घाटे से बचा पाएगा.

कांग्रेस पार्टी ने कृषि मंत्री से मांग किया है कि किसान आंदोलन का हिस्सा रहे किसान संगठनों और भारतीय जनता पार्टी से विपरीत विचार रखने वाले राजनीतिक दलों को भी अपनी बात रखने का अवसर प्राप्त हो, संसद पर चर्चा का समुचित अवसर प्रदान हो. जो विशेषज्ञ समिति बनी है, उसमें सभी को शामिल किया जाए और उसकी रिपोर्ट जल्द से जल्द 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सार्वजनिक किया जाए. इसके साथ ही किसानों को लेकर जो भी नीति बने उसमें किसानों के कृषि उत्पाद मूल्य व देश की खाद्य सुरक्षा को चंद पूंजीपतियों के हाथों में जाने से रोका जाए. किसानों को लेकर जो भी नीति बने उसमें किसानों के कृषि उत्पाद मूल्य व देश की खाद सुरक्षा को चंद पूंजीपतियों के हाथों में जाने से रोका जाए.