जल, जंगल और जमीन का संरक्षण के लिए बगीचा क्षेत्र के वनवासी तीन साल की लम्बी प्रक्रिया के बाद भगवान शिव और पार्वती का अनोखा विवाह सम्पन्न करते हैं.

अजय सूर्यवंशी, जशपुर। जशपुर जिले के बगीचा तहसील में जल, जंगल और जमीन का सरंक्षण के लिए वनवासी तीन साल की लम्बी प्रक्रिया के बाद भगवान शिव और पार्वती का अनोखा विवाह सम्पन्न करते हैं. इस आयोजन की खातिर प्रारंभ में जिस पेड़ पौधे के पत्ते, मिट्टी और जल का उपयोग किया जाता है, उसी स्थान से प्रत्येक वर्ष पूजा की सामग्री एकत्रित की जाती है. इस वजह गांव के लोग आपस में मिलजुल कर जल, जंगल और जमीन को सुरक्षित रखते हैं.

बगीचा क्षेत्र के ग्रामीणों का मानना है इस तरह प्रकृति का सरंक्षण से ही उनके गांव की खुशहाली बरकरार रहती है. वनों की हरियाली के साथ मिट्टी और जल का सरंक्षण का इस वर्ष तीसरा साल होने के कारण एक सप्ताह से यहां महादेव-पार्वती के विवाह की धूम मची हुई है. महादेव पार्वती के विवाह में शामिल होने के लिए वनवासी अपना पारम्परिक नृत्य के साथ ढ़ोल नगाड़े बजाते हुए एक दूसरे के घरों में निमंत्रण देने पहुंच रहे हैं. वनवासियों का कहना है कि माघ पुन्नी के मौके पर भगवान शिव और पार्वती का विवाह धूमधाम से सम्पन्न कर लिया जाता है.

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