बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक फैसले से लगभग 50 साल से संघर्षरत गंगरेल डैम के विस्थापितों को न्याय की आस जगी है। हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को प्रभावितों को मुआवजे के साथ ही जमीन देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए तीन महीने की समय सीमा तय की है।

आपको बता दें साल 1972 में अविभाजित मध्यप्रदेश की सरकार ने सिंचाई परियोजना के लिए धमतरी में गंगरेल डैम बनाने की योजना बनाई। डैम के डुबान में 55 गांव आए। राज्य सरकार ने प्रभावित हो रहे ग्रामीणों को मुआवजा का भरोसा दिलाया। लेकिन जब ग्रामीणों का व्यवस्थापन नहीं हुआ तो प्रभावित 8560 परिवारों ने एक समिति बनाकर जबलपुर हाईकोर्ट में मुआवजा और व्यवस्थापन की मांग को लेकर याचिका लगाई।

गंगरैल डैम के व्यवस्थापन में प्रभावितों को 10 रुपये से लेकर 20 रुपये और अधिकतम 250 रुपये का ही मुआवजा दिया गया। डैम प्रभावितों ने 48 साल की लंबी कानूनी लड़ाई जिसमें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 20 साल भी शामिल है। 48 साल के इस लंबे संघर्ष में कानूनी लड़ाई लड़ते-लड़ते प्रभावितों की पीढ़ियां गुजर गई और कईयों की मौत हो गई। अब जाकर 24 दिसंबर को न्यायालय के आए फैसले ने उन परिवारों के चेहरे पर एक उम्मीद जगाई है। अधिवक्ता संदीप दुबे ने याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट में पैरवी की।