पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के पुरनापानी रेत खदान में मनमानी को लेकर भाजपा विधायक डमरूधर पुजारी ने कलेक्टर से शिकायत की थी. लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी कुछ कार्रवाई नहीं की गई. जिस पर विधायक ने अफसरों के मिलीभगत का आरोप लगाया है. कार्रवाई नहीं हुई, तो परेशान लोगों के साथ सड़क पर धरने में बैठने की चेतावनी दी है.

दरअसल देवभोग में तेल नदी के पुरनापानी रेत घाट में खदान संचालकों के द्वारा जमकर मनमानी की जा रही है. नेशनल ग्रीन ट्यूबलर के मापदंडों के अलावा रायल्टी में भी चोरी कर शासन को चूना लगाया जा रहा है. परिवहन करने वाले ट्रैक्टर मालिक और कंस्ट्रक्शन ठेकेदारों ने इसकी शिकायत क्षेत्रीय विधायक डमरूधर पूजारी से किया था. इसे लेकर 11 जनवरी को पुजारी ने बिंदुवार मामले की शिकायत कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर से की थी. अब तक मामले में न जांच हुई, न कोई कार्रवाई हुई है. मनमानी जारी देख दो दिन पहले विधायक ने दोबारा कलेक्टर से कार्रवाई के लिए कहा, जिस पर जांच टीम गठित होने का हवाला दिया गया.

बीजेपी विधायक डमरूधर पुजारी ने कहा कि महीने में लाखों रुपए की उगाही खदान से हो रही है. जिसका बंदरबांट का हिस्सा तहसील से लेकर कलेक्टोरेट तक पहुंच रहा है. इसलिए जांच में आने से पहले अफ़सर ठेकेदार को भूल सुधारने का पर्याप्त अवसर दे रहे है. प्रशासन की उदासीन रवैया से खफा विधायक पुजारी ने कहा कि सप्ताह भर के भीतर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो परिवहन कर्ता और  अन्य पीड़ित लोगों के साथ बीच सड़क पर धरने में बैठ जाऊंगा.

उन्होंने यह तक कह दिया कि एनजीटी उल्लंघन का मामला दिल्ली तक अवगत कराऊंगा. यहां दो तीन अन्य घाटों में भी खदान की सम्भावना है. खुलने से मोनोपली खत्म होगा. राजस्व बढ़ेगा और लोगों को सुविधा भी मिलेगी, लेकिन अवैधानिक तरीके से मोटी कमाई देने वाले इस खदान से विभाग का मोहभंग नहीं होने का आरोप भी विधायक ने लगाया है. मामले में माइनिंग के जिला अधिकारी फागुलाल नागेश ने जल्द ही जांच करने की बात कही है.

विधायक पुजारी ने शिकायत पत्र में बताया है कि इस खदान में 500 रुपए की एक रायल्टी पर्ची पहली ट्रिप में काटी जाती है. उसके बाद के हर ट्रिप के लिए 300 रुपए की उगाही ठेकेदार करता है. रायल्टी में लोडिंग कराने का प्रावधान है, पर परिवहन कर्ता को स्वयं लोड कराना होता है.

एनजीटी के नियमों का पालन नहीं

शिकायत में बताया गया है कि खदान संचालन के लिए एनजीटी के नियमों का पालन अनिवार्य है. लेकिन इस खदान में सड़क, पौधे व सीसीटीवी कैमरे जैसे जरूरी चीजें नहीं लगाई गई है. पालन नहीं करने की वजह से दूसरे सत्र में लीज का ऑर्डर विभाग ने रोक दिया था. पर मिलीभगत कर दोबारा जारी कर दिया गया.

पड़ताल में सही मिली शिकायत

नाराज विधायक के धरने में बैठने के एलान के बाद मीडिया ने खदान पर जाकर सच्चाई की पड़ताल की. तो देखा गयाकि सड़क पौधे और सीसीटीवी कैमरे नहीं थे. लेकिन रेट लिस्ट टांगने की तैयारी ठेकेदार कर रहा था. घाट में दर्जनों ट्रैक्टर अपने ही हमालों से रेत लोड करा रहे थे. इन्ही में से एक शरदापुर से आए ट्रैक्टर चालक देवप्रकाश मांझी मजदूर का काम भी करते दिखा. पूछने पर बताया कि पहली ट्रिप का 500 देता है. दिन भर में उनके दो ट्रैक्टर 5-5 ट्रिप रेत परिवहन करते है. दूसरे बार से सभी ट्रिप का 300-300 ठेकेदार को देते है. खदान में लगी भीड़ से रोजाना 150 ट्रिप रेत परिवहन होने का अनुमान है. जबकि रायल्टी महज 30 से 40 ट्रेक्टरों का ही काटा जाता है.