रमेश सिन्हा,महासमुन्द. आज के समय में लोग फोटो खिंचाने और राजनीति करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. इस दौरान नेता लोगों को देश भक्ति का भी पाठ पढ़ाते हैं. इतना ही नहीं वे इस बात को भी प्रसारित करने से नहीं चूकते हैं कि देश के मान सम्मान की सारी चिन्ता इन्हीं नेताओं को है लेकिन यह भूल जाते हैं कि जो कुछ वे देश भक्ति के नाम पर लोगों के सामने रख रहे हैं, उसका उलटा असर भी पड़ सकता है. नेताओं की इन गतिविधियों से उनकी सोच के बारे में भी पता चलता है कि यह वाकई में देश भक्ति है या फिर देश भक्ति के नाम पर दिखावा कर रहे हैं.

ऐसा ही एक मामला महासमुंद के पिथौरा क्षेत्र में त​ब देखने को मिला. जब यहां बाजारों में बिक रहे तीन रंगो की मालाओं पर रोक लगाने की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मांग की है. परिषद ने गरीब दुकानदारों द्वारा बेची जा रही इन मालाओं पर रोक लगाने के लिए एसडीएम को ज्ञापन भी सौपा है. जिसमें उल्लेख किया गया है कि शहर की दुकानों में बिकने वाले तिरंगे वाले माला की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाये. इस दौरान एबीवीपी के दर्जनों छात्र मौजूद रहे.

एबीवीपी के अनुसार इस तरह के माला के बाजार में बिकने से ‘हमारा राष्ट्रीय अपमान होता है और तिरंगा अपमानित हो रहा है’.

लेकिन देश भक्ति के नाम पर ज्ञापन देने और फोटो खिचाने पहुंचे नेता ज्ञापन में यह नहीं बता सके हैं कि तीन रंगो की माला बिकने से देश का कैसे अपमान होगा. क्योकि इन तीन रंगों की माला में न तो अशोक चक्र बना है और न ही यह माला राष्ट्रीय ध्वज की श्रेणी में आता है.

ऐसे में इस माला के बिकने से राष्ट्रीय अपमान और तिरंगा का अपमान कैसे हो रहा है या फिर यूं कहें कि देश भक्ति का पाठ पढ़ाने वाले इन नेताओं को पहले खुद ही देश भक्ति का पाठ पढ़ना चाहिए. उन्हें इस बात का पता होना चाहिए कि राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा और तीन रंगो की माला में क्या अंतर है.