शिवम मिश्रा/सत्यपााल, रायपुर। निलंबित आईपीएस जीपी सिंह को कोर्ट में पेश किया गया. विशेष मजिस्ट्रेट लीना अग्रवाल की कोर्ट में पेश किया गया. जीपी सिंह के 2 दिनों की रिमांड समाप्त होने के बाद कोर्ट में पेश किया गया था. इस दौरान जीपी सिंह ने कहा कि वे एसीबी की जांच में हर बिंदु का जवाब दे रहे हैं. जीपी सिंह ने कहा कि हम कार्रवाई में सहयोग नहीं कर रहे हैं यह बात ग़लत है. आपको जितना समय चाहिए, 15 दिन चाहिए ले लो, यह बात हमने ख़ुद बोला है.

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जीपी सिंह के वक़ील आशुतोष पांडे ने बताया कि हमारे मुवक्किल पर आरोप लगाए जा रहे थे कि इन्वेस्टिगेशन में सहयोग नहीं कर रहे हैं, इसलिए पुलिस ने समय मांगा था. हमारे अनापत्ति को न्यायालय ने स्वीकार करते आज हमारे मुवक्किल को 18 जनवरी दोपहर 2 बजे तक पुलिस रिमांड दिया है, जब रिमांड अवधि पूरी हो जाएगी तो रेगुलर ज़मानत के लिए अपील करेंगे.

वकील ने कहा कि पुलिस ने पांच दिन का रिमांड मांगा था, इसलिए आज कोर्ट में पेश किया गया था. कोर्ट में फ़ैसला सुनाया गया है कि 18 तारीख़ दोपहर दो बजे तक पुलिस रिमांड में रहेंगे.

दरअसल, आय से अधिक संपत्ति के मामले में जीपी सिंह का बयान लिया गया, लेकिन पुलिस के मुताबिक निलंबित एडीजी जीपी सिंह सवालों से बचते नजर आए थे. जीपी सिंह के पास बरामद मोबाइल का मास्टर लॉक अब तक नहीं खुल पाया है. जब जीपी सिंह से पेनड्राइव की जानकारी मांगी गई, तो उसे भी उन्होंने जानकारी नहीं होने का हवाला दिया.

छ्त्तीसगढ़ से फरार घोषित किए जाने के बाद से जीपी सिंह की हर एक गतिविधियों पर एसीबी और मुखबीर तंत्रों की नजर थी. एसीबी की टीम अब इस बात की जानकारी जुटाने में लग गई है. इतने दिनों तक जीपी सिंह को फरारी कटवाने में उनकी मदद किस-किस व्यक्ति ने की है. फरारी के दौरान कौन-कौन व्यक्ति जीपी सिंह के संपर्क में था. एसीबी की टीम कई मामलों में अब भी साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है.

सूत्रों के मुताबिक छापेमारी दौरान जीपी सिंह के बंगले से पेन ड्राइव, टैब, समेत कई इलेट्रॉनिक डिवाइस जब्त हुए थे. साथ ही गिरफ्तारी के दौरान भी स्मार्टफोन एसीबी के हाथ लगा है, जिसकी जानकारी जीपी सिंह से मांगी जा रही है. अगर जीपी सिंह सहयोग नहीं करते हैं, तो फॉरेंसिक जांच की मदत ली जा सकती है.

जुलाई 2021 में ACB-EOW ने मारा था छापा
गौरतलब है कि 1 जुलाई 2021 की सुबह 6 बजे ACB-EOW की टीमों ने रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा में उनके सहयोगियो समेत उनके सभी ठिकानो पर एक साथ छापा मारा था जिसमें 5 करोड़ की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ था और 10 करोड़ की संपत्ति मिलने और इसके बढ़ने की आधिकारिक जानकारी दी गई थी.

इसके अलावा छापे के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज भी मिले थे, जिसके आधार पर रायपुर कोतवाली में IPS जीपी सिंह पर राज्य सरकार राजद्रोह, का मामला दर्ज हुआ था. जिसका चालान कोतवाली पुलिस पहले ही कोर्ट में पेश कर चुकी है जो कोर्ट में विचाराधीन है और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर में अनुपातहीन संपत्ति और भष्टाचार निवारण अधिनियम और धारा 201,467,471 के आरोप में निलंबित आईपीएस जी.पी.सिंह का प्रकरण दर्ज है.

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