वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। रिटायरमेंट में 1 साल 8 माह बचे होने के बावजूद अधिकारी का नक्सल क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया गया. आदेश के खिलाफ अधिकारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ट्रांसफर पर रोक लगा दी है. इसे भी पढ़ें : सीसी रोड स्वीकृति के नाम पर ‘कलेक्टर’ ने मांगा कमीशन, सरपंच की सतर्कता से आया पकड़ में…
दुर्ग स्थित महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था में प्रशिक्षण अधीक्षक के पद पर पदस्थ रायपुर निवासी सरोज वर्मा का ट्रांसफर विभाग ने घोर अनुसूचित एवं नक्सली जिला बीजापुर कर दिया था. इस आदेश को चुनौती देते हुए सरोज वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
मामले की सुनवाई के दौरान अधिकारी की ओर से तर्क दिया गया कि छत्तीसगढ़ शासन के नियमानुसार 55 वर्ष से अधिक की उम्र पार चुके शासकीय सेवक को घोर अनुसूचित जिले में पदस्थ नहीं किया जाएगा. याचिकाकर्ता की उम्र 60 वर्ष एवं 4 माह होने के बावजूद उनका स्थानांतरण घोर अनुसूचित-नक्सली जिला बीजापुर कर दिया गया, जो पॉलिसी का उल्लंघन है.
अधिकारी की ओर से साथ में यह तर्क दिया गया कि उन्हें मिर्गी की बीमारी है, और उनके रिटायरमेन्ट को सिर्फ 1 वर्ष 8 माह शेष है, ऐसे में घोर अनुसूचित-नक्सली जिला बीजापुर में ज्वाइन करने से याचिकाकर्ता को परेशानी होगी. हाई कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता के स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दी है.
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