इंदर कुमार, जबलपुर। मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी घोटाले की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में हुई। मामले में हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी करते हुए एडिशनल कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय जांच कमेटी को ही अमान्य घोषित कर दिया। वहीं 1 सप्ताह में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में नई जांच कमेटी गठित करने के सख्त निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि जांच कमेटी में साइबर एक्सपर्ट के अलावा डीआइजी स्तर से नीचे का अधिकारी नहीं होना चाहिए। मामले में जांच कमेटी ऐसी होनी चाहिए कि विश्वास कायम रहे।
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एमबीबीएस छात्रा की याचिका पर हुई सुनवाई
बता दें कि मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी पर कई छात्रों ने रहयूनिवर्सिटी पर पैसे देकर नंबर बढ़ाने के आरोप लगाए थे। इंदौर की एक एमबीबीएस फाइनल ईयर की छात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। छात्रा ने एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी में भारी भ्रष्टाचार होने की याचिका दायर की थी।
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पास-फेल करने का बड़ा खेल खेला गया
यूनिवर्सिटी में पास-फेल करने का बड़ा खेल खेला गया है। वहीं ऐसे छात्र-छात्राओं को भी पास कर दिया गया जो परीक्षा में अनुपस्थित रहे। इस घोटाले का आरोप विश्वविद्यालय का रिजल्ट बनाने वाली कंपनी माइंडलॉजिक्स पर लगा है। माइंडलॉजिक्स कंपनी छात्रों के रिजल्ट बनाने का काम करती थी। कंपनी, छात्र- छात्राओं के गोपनीय डेटा पर ही कुंडली मारकर बैठ गई। कंपनी से जानकारी मांगे जाने पर कंपनी ने बंगलूरू स्थित अपना कार्यालय लॉकडाउन में बंद होने का हवाला देकर जानकारियां देने में आनकानी की।
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4 अधिकारियों पर गिर चुकी है गाज
बता दें कि मामले में अब तक कार्रवाई करते हुए 4 अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया है। जबकि रिजल्ट बनाने वाली कंपनी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। लेकिन सवाल अब भी जिंदा है कि जिन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है।
ऐसे खेला गया पूरा खेल
मध्यप्रदेश की एक नामी विश्वविद्यालय में रिजल्ट बनाने वाली कंपनी सॉफ्टवेयर में बदलाव कर एग्जाम कंट्रोलर और गोपनीय विभाग के निजी ईमेल अंक भेजती है। फिर उनके कहने पर छात्रों के अंक में फ़ेरबदल किए जाते हैं। पास फेल के इस खेल में ऐसे छात्रों को भी पास कर दिया जाता है जिन्होंने परीक्षा दी ही नहीं।
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