बिलासपुर। औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर याचिकाकर्ता ने उन्हें पदभार ग्रहण को रोकने एक स्थगन आवेदन प्रस्तुत किया था. इस पर आज हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नियुक्ति आदेश पर स्थगन दे दिया है. मंगलवार शाम को अध्यक्ष पदभार सम्भाले थे, अब किसी प्रकार का आधिकारिक कार्य नहीं कर सकेंगे.

हाईकोर्ट के नोटिस के बाद राज्य सरकार नियुक्ति के नियम को ही संशोधित कर रही है. नए प्रस्ताव के अनुसार अब सरकार अपनी मर्जी से अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी. इसमें हाईकोर्ट के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी. इसी मामले में अधिवक्ता मलय जैन ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष की नियुक्ति हाईकोर्ट की अनुशंसा प्राप्त कर की जाती है.

यह नियुक्ति छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम,1960 के अंतर्गत अनिवार्य है. इसके बाद भी पिछले डेढ़ वर्ष से राज्य सरकार ने जानबूझकर नियुक्ति नहीं की है. पिछली सुनवाई के दौरान पता चला कि हाईकोर्ट से अध्यक्ष पद के लिए एक नाम की अनुशंसा की जा चुकी है.

इस पद पर फेमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज अग्रलाल जोशी  को अगले 5 साल के लिए 65 वर्ष की आयु तक नियुक्त कर दिया है. इसका विरोध कर याचिकाकर्ता ने सोमवार को एक्टिंग चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच में कार्यभार लेने पर स्थगन के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था.

बुधवार को मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने शासन पर इस बात के लिए नाराजगी जाहिर की कि सरकार हमारे काम में दखल दे रही है. कोर्ट की अनुशंसा के बिना ही इंडस्ट्रियल कोर्ट में नियुक्ति कर दी गई. इसके साथ ही  एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्र ने इस नियुक्ति पर रोक लगाते हुए कार्यभार ले चुके अध्यक्ष को भी किसी भी तरह के अधिकारिक कार्य करने से रोक दिया है. मामले में अब अक्टूबर माह में अंतिम सुनवाई होगी.

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