रायपुर. हृदय संबंधी रोग जैसे- हाई बीपी, हृदयाघात, हार्ट फेलियर आज की जीवनशैली की कड़वी सच्चाई है. लेकिन क्या आप जानते है, कुछ सावधानियों से आप इस खतरे को एक स्तर तक कम भी कर सकते है. पूरे विश्व में हृदय के प्रति जागरूकता पैदा करने और हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न उपायों पर प्रकाश डालने के मकसद से दुनियाभर में हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस के रूप में मनाया जाता है.

वर्तमान समय में अव्यवस्थ‍ित दिनचर्या, तनाव, गलत खान-पान, पर्यावरण प्रदूषण एवं अन्य कारणों के चलते हृदय की समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं. छोटी उम्र से लेकर बुजर्गों तक में हृदय से जुड़ी समस्याएं होना अब आम बात हो गई है.

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पूरी दुनिया में हर साल दिल के दौरे से 1 करोड़ से भी ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है और इनमें से 50 प्रतिशत लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. इसलिए हृदय रोग मौत की एक अहम वजह बन चुका है, जिसके लिए जागरूकता होना बेहद जरूरी है. इस उद्देश्य के लिए विश्व हृदय दिवस मनाने की शुरूआत सन 2000 में की गई थी.

हृदय रोगों का तेजी से बढ़ना और उससे होने वाली मौतों के आंकड़ों को देखते हुए, हृदय के प्रति गंभीर रवैया अपनाने की आवश्यकता है. यह पाया गया है कि कोविड, डायबिटीज, मोटापा, तनाव, इन सब बीमारियों में हृदय की दिक्कतें ही मृत्यु का सबसे प्रमुख कारण रही है, इसलिए आपको अपने दिल का ख्याल रखना बहुत जरूरी है.

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित उपाय सहायक सिद्ध हो सकते हैं –

  1. हर दिन अपने और कामों की तरह ही व्यायाम के लिए भी समय निकालें.
  2. सुबह और शाम के समय पैदल चलें या सैर पर जाएं.
  3. भोजन में नमक और वसा की मात्रा कम कर लें, अधिक मात्रा में यह हानिकारक होते हैं.
  4. ताजे फल और सब्जियों को आहार में शामिल करें.
  5. तनावमुक्त जीवन जिएं. तनाव अधि‍क होने पर योगा व ध्यान के द्वारा इस पर नियंत्रण करें.
  6. धूम्रपान का सेवन बिल्कुल बंद कर दें, यह हृदय के साथ ही कई बीमारियों का कारक है.
  7. स्वस्थ शरीर और दिल के लिए भरपूर नींद लें.

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इसके अलावा यदि आप स्वस्थ है तो साल में कम से कम दो बार अपना ब्लड प्रेशर और शुगर अवश्य जांच करवाते रहे और यदि आपको हाई बीपी या शुगर है, तो ये जांच कम से कम 3 महीने में एक बार करवाते रहे. अगर आपके परिवार में किसी को यह बीमारी है तो आपको अपने जीवन शैली में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

कभी भी हाई बीपी, छाती के भारीपन या दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और अपने डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए. यह देखा गया है कि अधिकतर मामलों में लोग छाती के दर्द को गैस की दिक्कत या गर्दन की हड्डी (सर्वाइकल स्पाइन) में दिक्कत से होने वाला दर्द समझ के नजरअंदाज कर देते है, जिससे बीमारी बढ़ जाती है. इसमें सलाह दी जाती है कि हमेशा छाती के दर्द के लिए डॉक्टरी सलाह ली जानी चाहिए ,और उन्हें निर्णय लेने देना चाहिए कि यह किस प्रकार का दर्द है.

उचित अनुशासन, व्यायाम, खानपान में ध्यान और जीवनशैली में आवश्यक बदलाव आपके हृदयरोग के खतरे को बहुत कम कर सकते है. आपकी और आपके परिवार को खुशहाल रहने में मदद कर सकते है. आइए इस विश्व हृदय दिवस में हम इस दिशा में कदम उठाए. स्वस्थ रहे, मस्त रहे.

MD मेडिसिन – डॉ अनिमेष चौधरी