रायपुर. कार्य के शुरू करते हुए उदासीनता शुरू हो जाना या किसी भी कार्य में पर्याप्त उर्जा की कमी होना या लोगों के साथ मिलने या बात करने की इच्छा का ना होना बहुत सामान्य दिनचर्या में नहीं माना जा सकता. यदि अपने ऑफिस में जाने के बाद काम करने का मन नहीं करता है या ये कहें कि आप एनर्जेटिक फील नहीं करते हैं.

आपके अंदर निराशा की भावना आती है, तो इसका सीधा सा मतलब है कि आपकी नाकारात्मक शक्ति सक्रिय है, कई बार इसी वजह से मनोवांछित सफलता प्राप्त नहीं होती या लोग आपको आलसी समझने लगते हैं. कई बार यह उम्र का भी असर हो सकता है किंतु उम्र का असर हो या व्यवहार यह कहीं ना कहीं ग्रह दशाओं से प्रभावित होती है.

अगर किसी की कुंडली में हार्मोनल परिवर्तन हो रहा हो वह चाहें 14 की उम्र में हो या 42 की उम्र में इसका असर पर्याप्त रूप से शरीर और व्यवहार पर पड़ता है. किसी भी व्यक्ति के हार्मोनल परिवर्तन के समय अगर शनि, शुक्र या राहु जैसे ग्रहों की दशाए चलें और ये ग्रह प्रतिकूल अथवा प्रभावित करने वाले स्थान जैसे की लग्न, तीसरे, छठवे, एकादश स्थान में हों तो ऐसे में व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन दिखाई देता है और कार्यक्षमता कम होने के साथ ही निराशा, थकान और नाकारात्मकता बढ़ने लगती है.

अगर ऐसा आपके साथ भी हो रहा हो तो तत्काल अपनी कुंडली का विश्लेषण कराकर उक्त ग्रहों की शांति करानी चाहिए. मन को लगाए रखने के लिए नियम से व्यायाम करना चाहिए इसके अलावा रुद्राभिषेक करना, मंत्र जाप करना, सत्संग करना, पीपल में जल देना और जीव सेवा करना चाहिए.