दिनभर की भागदौड़ और थकान के बाद अपने कमरे के बिस्तर पर अच्छी नींद से अच्छा और कुछ नहीं होता है, पर ये तभी संभव है जब आपके बेड का गद्दा अच्छा हो. हो सकता है कि कुछ लोगों की तरह आप भी आरामदायक नींद की बात को गंभीरता से न लें या हो सकता है कि आप के लिए भी अनिद्रा कोई छोटी-मोटी ही बात हो. लेकिन ऐसा सोचना ठीक नहीं है.अनिद्रा के चार पैटर्न होते हैं, जिस में से एक बिस्तर का ठीक न होना भी है. इसे भी पढ़ें : BREAKING : भानुप्रपातपुर विधानसभा सीट के लिए 5 दिसंबर को होगा मतदान, इस दिन आएगा परिणाम…

हमारे स्लीपिंग पैटर्न से ही हमारे शरीर की बाकी कई चीजें निर्धारित होती हैं. स्लीपिंग पैटर्न सही करने के लिए सही मैट्रैस का चुनाव बेहद जरूरी है.यूं तो बाजार में बहुत तरह के मैट्रेस हैं पर उनमें से अपनी जरूरत के मुताबिक गद्दे को चुनना बहुत जरूरी है. आज हम आपको कुछ ऐसे आसान उपाए बताएँगे जिनकी मदद से आप अपने लिए बेहतर मैट्रेस का चुनाव कर सकते है. कई बार अच्‍छी कंपनी के मैट्रेस लेने से पुराने मैट्रेस को उनसे बदला जा सकता है.

नए मैट्रेस लेते वक्‍त रखें ध्यान

  1. नए मैट्रेस लेने से पहले उसकी वारंटी को जांच लें ताकि मैट्रेस को जल्‍दी बदलना न पड़े.
  2. ये जरूर पता कर लें कि मैट्रेस बेडबग्‍स और माइट्स से बचा सकता है कि नहीं.
  3. मैट्रेस को सुरक्षित और धूल व गंदगी से बचाने के लिए पतले कपड़े का कवर भी चढ़ाएं.
  4. मैट्रेस लेते वक्‍त ध्‍यान दें कि वह आरामदायक है कि नहीं.
  5. मैट्रैस पर आराम मैट्रैस के बेस पर निर्भर करता है. इसलिए सुकून भरी नींद सोना चाहते हैं, तो सही बेस वाले मैट्रैस का चुनाव काफी जरूरी है. फोम व जूट के बेस वाले मैट्रैस ज्यादा चलन में हैं.
  6. अगर आपको कमर दर्द की शिकायत है, तो इस से बचने के लिए बड़े साइज का मैट्रैस चुनें.
  7. कई लोगों को धूल से एलर्जी होती है. ऐसे लोगों के लिए अलग प्रकार के मैट्रैस डिजाइन किए जाते हैं, जिन्हें आप अपने लिए खरीद सकते हैं.

कितने समय में बदलना चाहिए मैट्रेस

एक मैट्रेस को आमतौर पर 7 साल बाद बदलने की आवश्‍यकता होती है. मैट्रेस की ड्यूरेबिलिटी उसकी क्‍वालिटी और प्रयोग करने पर निर्भर करती है. सामान्‍यतौर पर एक मैट्रेस को सात साल बाद बदल देना चाहिए. हाईब्रिड और इनरस्प्रिंग मैट्रेस के कॉइल समय के साथ ढीले हो सकते हैं और कम सपोर्ट करते हैं.इसके अलावा पुराने मैट्रेस में धूल कण अधिक जमा हो जाते हैं जो सांस संबंधी समस्‍या का कारण बन सकते हैं. इसलिए जब आपको अपने मैट्रेस में ऐसे बदलाव नजर आने लगे तो तत्काल बदल देना चाहिए.

इसलिए बदलें मैट्रेस

मैट्रेस नींद की क्‍वालिटी और रीढ़ की हड्डी की स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं.कई शोध से ये बात सामने आई है कि लगभग 7 प्रतिशत नींद की समस्‍या अनकंफर्टेबल मैट्रेस के कारण होती है. पुराने और अनकंफर्टेबल मैट्रेस दर्द का कारण बन सकते हैं. खराब मैट्रेस से दर्द के साथ जागना, सुन्‍नपन, स्‍किन और सांस संबंधी एलर्जी को जन्‍म दे सकता है.कई बार पुराने और नमी वाले मैट्रेस में बेडबग्‍स हो जाते हैं जो स्किन प्रॉब्‍लम को बढ़ावा दे सकते हैं.

ये हैं मैट्रेस के खराब होने के संकेत

  1. सैगिंग और डिप्‍स
  2. गांठ और धक्‍के
  3. सोने में अनकंफर्टेबल
  4. गंध या गंदगी
  5. मैट्रेस में कीड़े
  6. मैट्रेस का टूटना

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