कोरबा। जिले में सरेराह किडनैपिंग की खबर से सनसनी फैल गई थी. सरेराह 4-5 लोगों ने नर्स को खींचकर स्कार्पियो में अपहरण कर लिया था. गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू उसी दिन कोरबा में मीटिंग लेने पहुंचे थे. इधर एक नर्स का अपहरण हो गया था. इस खबर ने प्रदेशभर में तहलका मचा दिया. पुलिस नाकेबंदी कर एक-एक गाड़ियों की सरगर्मी से तलाशी लेने लगी, लेकिन शातिरों की प्लानिंग इतनी जबरदस्त थी कि पुलिस के आंखों में धूल झोंककर कायराना करतूत को अंजाम देने में सफल रहे. पुलिस रात भर आईजी रतनलाल डांगी की मौजूदगी में छापेमारी करती रही, लेकिन नर्स की कोई खोज खबर नहीं मिली. जैसे ही सुबह हरदीबाजार टीआई ने महिला के बेटी को फोन किया, तो पूरी कहानी ही पलट गई. उस कहानी को सुनकर पुलिस के भी पैरों तले जमीन खिसक गई.

 

कहां खाक छान रही कोरबा पुलिस ? सरेराह एक नर्स की किडनैपिंग, इधर गृहमंत्री ले रहे थे बैठक, उधर किसी की बेटी हो गई अपहरणकर्ताओं की शिकार

महिला नर्स को अपहरणकर्ताओं ने रात को 3 बजे ही घर में छोड़ दिया था, लेकिन महिला थाने में सूचना देने के बजाए सीधे कोरबा चले गई, जबकि 2 किलोमीटर की दूरी पर थाना है, लेकिन सूचना नहीं दी और वो 25 किलोमीटर कोरबा पहुंच गई. इसके बाद सुबह जब पुलिस वालों ने बेटी को फोन किया, तब पता चला की महिला नर्स रात में ही घर आ गई थी. वो लोग सीधे कोरबा पहुंच गए थे और बेटी ने सीधे फोन अपनी मां को थमा दिया. पुलिसवाले महिला से बातचीत कर, इस मामले को समझ पाते की महिला ने अपना फोन ही बंद कर दिया, जिससे पुलिस की और टेंशन बढ़ गई. आनन-फानन में पुलिस ने उनका लोकेशन ट्रेस कर उसे बरामद किया.

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कहीं बेटा ही तो नहीं है मास्टरमाइंड ?
इस मामले में अब पुलिस के शक की सुई महिला के बेटे पर भी जा रही है. जानकारी के मुताबिक महिला ने हाल ही में अपनी जमीन SECL को 12 लाख में बेची है.  महिला का बेटा उसे बाइक दिलाने की जिद कर रहा था. पुलिस अब इस एंगल से भी जांच कर रही है कि कहीं महिला का बेटा ही तो अपने दोस्तों के साथ इस घटना को अंजाम नहीं दिया है.

क्या था पूरा मामला ?

हरदीबाजार पुलिस चौकी क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भिला ईबाजार नर्स को किडनैपर उठाकर ले गए थे. सरेराह दो लोगों ने नर्स को खींचकर स्कार्पियो में अपहरण कर लिय़ा था. पीएचसी में कार्यरत नर्स (एएनएम) ओम साहू रात की शिफ्ट में स्कूटी पर सवार होकर अस्पताल जा रही थी. इस दौरान अस्पताल के मुख्य द्वार के अंदर स्कूटी को ले जाने के लिए सड़क से उतर रही थी कि वहां तेज रफ्तार से सफेद रंग की एक स्कार्पियो पहुंची और स्कूटी को टक्कर मारकर गिरा दिया था.

स्कूटी और नर्स के गिरते ही स्कार्पियो से दो लड़के निकले और बड़ी तेजी से नर्स को अपने कब्जे में लेकर स्कार्पियो में सवार होकर हरदीबाजार की ओर भाग निकले थे. घटनाक्रम से हड़बड़ाए अस्पताल स्टॉफ ने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी. स्कार्पियो की धर-पकड़ के लिए पुलिस ने नाकाबंदी की शुरू की थी.

कहीं ऐसा तो नहीं ?

बहरहाल, पुलिस इस किडनैपिंग मामले में महिला के बयान के आधार पर अलग-अलग एंगल से जांच कर रही है. हालांकि पुलिस ने महिला के सामने कई सवाल दागे हैं, जिनमें जब महिला थाने के पास थी, मतलब अपने गृह निवास के पास थी, तो थाने को क्यों जानकारी नहीं दी, और कौन थे वे किडनैपर जिनके बारे में खुलासा नहीं कर रही है, कहीं आपका कोई करीबी ही तो नहीं है, जिसने ये प्लानिंग की है?. हालांकि महिला ने पुलिस के सवालों पर आंख पर पट्टी बंधे होने की बात कह कर पूर्ण विराम लगा दिया है.

आईजी डांगी की एक और उपलब्धि
ये पहला मौका नहीं है जब किसी मामले की जानकारी लगी हो और आईजी रतनलाल डांगी मौके पर पहुंचे हों, इससे पहले भी हमने देखा है जब खरसिया में कांग्रेस नेता के पोते का अपहरण हो गया था. आईजी डांगी रात में ही बिलासपुर से सड़क मार्ग से खरसिया पहुंच गए थे और खुद ही इस ऑपरेशन को लीड करते हुए बच्चे को सकुशल बरामद किया था.

इसके अलावा बिलासपुर में ही एक और बच्चे का अपहरण हुआ था, जिसमें अपहरणकर्ताओं ने 10 लाख की फिरौती मांगी थी, लेकिन आईजी डांगी की सूझबूझ से अपहरणकर्ताओं सकुशल बरामद कर लिया था.

इस मामले में भी जब आईजी डांगी को जैसे ही अपहरण की जानकारी मिली वो तुरंत ही सड़क मार्ग से कोरबा रवाना हो गए. पूरी रात इस ऑपरेशन को लीड करते हुए सभी सड़क मार्गों में नाकेबंदी करा दी, जिसका नतीजा ये हुआ कि अपहरणकर्ताओं ने महिला को छोड़ने में ही अपनी भलाई समझी.

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