रायपुर. पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी के दिल्ली से लौटने के बाद एयरपोर्ट पर जमकर स्वागत किया गया. उसके बाद एकात्म परिसर में ओपी चौधरी प्रेस कांफ्रेंस कर मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए. साथ में प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने भी मीडिया से बातचीत की. धरमलाल कौशिक ने कहा कि पार्टी में ओपी चौधरी के आने के बाद बीजेपी और मजबूत होगी. प्रशासनिक अधिकारी के रूप में उनके अनुभवों का लाभ मिलेगा. ओपी चौधरी को मोल भाव कर नहीं लाया गया है. वह अपनी स्वेच्छा से पार्टी में आये हैं. माटी की सेवा करने के लिए उन्होंने राजनीति में आने का निर्णय किया है.

ओमप्रकाश चौधरी ने कहा कि मैं बायंग गांव से निकला. किन परिस्थितियों में मैं निकला इसे आप सब जानते हैं. मैं गांव की गलियों से अपने सपने को लेकर निकला. मेहनत कर आईएएस बना. मैंने 13 सालों के करियर में बेस्ट करने की कोशिश की. जो बेहतर कर सकता था वह करने का प्रयास किया. मैं महसूस करने लगा था कि मंत्रालय में बड़े से बड़े पद पर पहुँच तो जाता लेकिन सीधे तौर पर लोगों से जुड़ाव कम हो जाता. आज मैं देखता हूँ कि देश में कर्मठ प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है. वहीं प्रदेश में रमन सिंह ने विकास की दिशा बदली. बस्तर शोषण का सबसे बड़ा पर्याय था. सरकार ने पीडीएस शुरू कर लोगों की जिन्दगी बदली.

उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक तंत्र खराब है तो प्रशासनिक तंत्र खराब हो जाता है. लेकिन राजनीतिक तंत्र बेहतर हो तो सैडकों प्रशासक बनाये जा सकते हैं. दीनदयाल उपाध्याय जी के अंत्योदय से मैं प्रभावित होता रहा हूँ. अटल बिहारी वाजपेयी से प्रभावित रहा हूँ. मुझे लगता है कि यदि कोई पार्टी देश को आगे ले जा सकती है तो वह बीजेपी ही है.
यही पार्टी है जहां कवर्धा का एक पार्षद मुख्यमंत्री बनता है, तो बड़नगर में चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बनता है.

ओपी चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान आगे कहा कि आरोप और चर्चा असफल लोगों के हिस्से होता है. नौकरशाही में लोगों से मिलने में कुछ बंधन होता है. मैं उस बंधन से मुक्त होने राजनीति में आया हूँ. नौकरशाही के अपने रूल्स है. मेरा मानना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक तंत्र ही सबसे बड़ी चीज है. राजनीतिक तंत्र से बेहतर प्रशासनिक तंत्र डेवलप किया जा सकता है. प्रयास बनाना मेरी विचारधारा रही है. नालंदा बनाना मेरी विचारधारा रही है. एजुकेशन सिटी बनाना मेरी विचारधारा रही है. मेरी विचारधारा को लेकर कौन क्या कह रहा है इससे कोई मतलब नहीं है.