शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश के सत्ता के सेमिफाइनल में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी-कांग्रेस के नेता जुटे हुए हैं. दोनों पार्टियों के दिग्गज मोर्चा संभाल चुके हैं. नामांकन के आखिरी दिन तक बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. जिसने बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की टेंशन बढ़ा दी है.

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मतदान की तारीख जैसे-जैसे करीब आती जा रही है वैसे-वैसे सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है. कांग्रेस-बीजेपी के प्रत्याशी नामांकन भरने के बाद अब चुनाव प्रचार में जुट गए हैं, लेकिन इन प्रत्याशियों को बागियों का डर सता रहा है. क्योंकि दोनों पार्टियों में टिकट को लेकर बगावत हुई है और निर्दलीय के तौर पर कई नेताओं ने पर्चा भर दिया है. अब दावा किया जा रहा है कि वक्त रहते सभी को बैठा लिया जाएगा क्योंकि नेता जानते हैं ये बागी उनका खेल बिगाड़ सकते हैं.

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बागी पार्टियों की टेंशन इसलिए भी बढ़ा रहे है. जहां पार्टी मजबूत है, वहीं पर नेताओं ने निर्दलीय पर्चा भर दिया है. जोबट सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. यहां पर दिवंगत कलावती भूरिया के भतीजे ताल ठोक रहे हैं तो, वहीं रैगांव बीजेपी का गढ़ है. लेकिन यहां जुगलकिशोर बागरी के परिवार से तीन लोगों ने नामांकन दाखिल कर दिया. हालांकि पुष्पराज बागरी को सीएम शिवराज ने मना लिया लेकिन वंदना बागरी और रानी बागरी अब भी मैदान मे डटी हुई है. इसको लेकर बीजेपी नेताओं का कहना है कि सब जल्द नामांकन वापस ले लेंगे.

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13 अक्टूबर नाम वापसी का आखिरी दिन हैं. अब दोनों पार्टियों के दिग्गज प्रचार के साथ आने वाले दिनों में बागियों को बैठाने के लिए जोर अजमाइश करते नजर आएंगे. पुष्पराज बागरी को बैठाकर जरुर बीजेपी खेमे में थोड़ी राहत है, लेकिन अभी भी बागी मैदान में डटे हुए है. वहीं दीपक भूरिया को कमलनाथ खुद फोन लगाकर एक बार समझा चुके हैं. अब उम्मीद है कि 12 अक्टूबर के बाद कमलनाथ जब एमपी वापस आएगा तब फिर मान मनौव्वल का दौर शुरू होगा. अब देखना होगा नेता रूठों को मनाने में कितना कामयाब हो पाएंगे.

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