नासिर बेलिम,उज्जैन। काशी की ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब उज्जैन में भी एक मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हो चुका है. आवह्वान अखाड़े के महामंडलेश्वर और अखंड हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत अतुलेशानंद सरस्वती महाराज ने दावा किया है कि वर्ष 2007 में उन्होंने खुद मस्जिद में प्रवेश कर प्राचीन परमार कालीन राजा भोज के समय की शिव और गणेश प्रतिमा को अंदर देखा है. अब ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद सामने आने के बाद महामंडलेश्वर ने मांग की है कि उज्जैन की मस्जिद की भी जांच होनी चाहिए.

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महामंडलेश्वर अतुलेशानंद ने कहा कि उज्जैन मां क्षीप्रा के तट पर स्थापित है. राजाभोज की राजधानी रही उज्जैन एक दुर्लभ स्थान है. जिस पर सन 1600 में मुस्लिम मुगल शासकों ने तोड़कर कब्जा किया. उज्जैन के दानी गेट स्थित बिना नींव की मस्जिद में प्राचीन शिव मंदिर है. जिसमें आज भी गणेश प्रतिमा साफ़ दिखाई देती है. मस्जिद की फ़ोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जाए, कोई उससे छेड़छाड़ नहीं करे.

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महामंडलेश्वर अतुलेशानंद ने दावा किया है कि वर्ष 2007 में मस्जिद के अंदर जाकर देखा कि भगवान गणेश की मूर्ती, हांथी, घोड़े और पत्थरों पर विशाल पहरेदार सैनिकों की मूर्तियां बनी है. उज्जैन की मस्जिद की भी जांच होनी चाहिए. संत ने इस मामले में कोर्ट जाने की बात कही है.

बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद काफी हद तक अयोध्या विवाद जैसा ही है. हालांकि अयोध्या के मामले में मस्जिद बनी थी और इस मामले में मंदिर-मस्जिद दोनों ही बने हुए हैं. काशी विवाद में हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने यहां काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी. जिसका विरोध हो रहा है.

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