रायपुर। शिक्षाकर्मियों की हड़ताल तो खत्म हो गई, लेकिन अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शिक्षाकर्मियों को लुभाने की कवायद शुरू कर दी है. कल आरएसएस ने प्रदेशभर के शिक्षाकर्मियों का एक दिवसीय सम्मेलन रखा. राजधानी स्थित आरएसएस प्रदेश कार्यालय जागृति मंडल में शिक्षाकर्मी जुटे. बैठक में हर जिले से 10-10 शिक्षाकर्मियों को बुलाया गया था.

शिक्षाकर्मी संघ बनाने की चर्चा

बैठक में शिक्षक संघ की तरह ही शिक्षाकर्मी संघ बनाने को लेकर चर्चा की गई. इस बात पर चर्चा हुई कि शिक्षाकर्मियों का संघ RSS समर्थित होगा. इधर एक संगठन बनाने को लेकर मतभेद सामने आया.

बैठक में शिक्षाकर्मियों की मांगों और दिक्कतों पर चर्चा हुई. चर्चा के दौरान ये बात सामने आई कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों के 13 संगठन रजिस्टर्ड हैं. अलग-अलग संगठनों से संघ विचारधारा के लोग जुड़े हुए हैं. संघ नेताओं ने सुझाव दिया कि ऐसे शिक्षाकर्मी जो संघ विचारधारा से जुड़े हैं, उनका एक अलग संगठन होना चाहिए. लेकिन इस पर आम राय नहीं बन सकी.

शिक्षक मोर्चा ने दोहराई पुरानी मांग

वहीं बैठक के बाद शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की और कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को शिक्षाकर्मियों का अलग संघ बनवाने के बजाय संविलियन और शासकीयकरण का प्रस्ताव सरकार को देना चाहिए.

उन्होंने कहा कि शिक्षक संघ की सदस्य संख्या कम होने की पूर्ति संविलियन करने से होगी और शासकीयकरण होने वाले शिक्षाकर्मी स्वभाविक रूप से शिक्षक संघ में शामिल हो सकते हैं.

संजय शर्मा ने कहा कि शिक्षाकर्मियों को तोड़कर अलग संघ बनाना इसका विकल्प और समाधान नहीं है और न ही ऐसे समूह को आगे समर्थन मिलेगा, क्योंकि आज शिक्षाकर्मियों के कई संघ बने हैं, जिसे आम शिक्षाकर्मियों ने नकारा है और जब भी नया संघ बना, शिक्षाकर्मी दुखी भी हुए, इसलिए नए संघ के निर्माण से फिर दुख ही पहुंचेगा. संजय शर्मा ने बताया कि अधिकांश शिक्षाकर्मियों ने RSS के प्रस्ताव पर असहमति जताई.

आरएसएस पर डैमेज कंट्रोल की कवायद का आरोप

वहीं एक शिक्षाकर्मी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि आरएसएस शिक्षाकर्मी संगठनों को तोड़ना चाह रही है और अपने प्रचार और काम के लिए शिक्षाकर्मियों का इस्तेमाल करना चाह रही है. शिक्षाकर्मी ने कहा कि आरएसएस डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में लगी हुई है. उन्होंने बताया कि आरएसएस ने ये भी कहा कि हड़ताल कोई उपाय नहीं है, बल्कि बातचीत से ही मामला सुलझेगा. इसका साफ मतलब है कि बीजेपी और आरएसएस अलग-अलग नहीं है, बल्कि एक ही है और शिक्षाकर्मियों को बहलाने की कोशिश कर रही है. शिक्षाकर्मी ने कहा कि आरएसएस मामले का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है.

गौरतलब है कि प्रदेश में हाल ही में खत्म हुए शिक्षाकर्मियों के आंदोलन के बाद आरएसएस ने शिक्षाकर्मियों का राज्य की भाजपा सरकार के प्रति रुख जानने के लिए ये बैठक बुलाई थी. सम्मेलन में शिक्षाकर्मियों से सीधे तौर पर पूछा गया कि हाल ही में हुए आंदोलन के बाद उन्हें कैसा महसूस हुआ? आंदोलन के दौरान उनका अनुभव क्या था?