नई दिल्ली। देश के पूर्व CJI जस्टिस आरसी लाहोटी का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया. वे 82 साल के थे. पिछले कई दिनों से वे बीमार चल रहे थे. दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उन्हें इलाज के लिए भर्ती किया गया था. बुधवार शाम उन्होंने अंतिम सांस ली. कल शुक्रवार सुबह 9 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. दिल्ली में निगम बोध घाट पर राजकीय प्रोटोकॉल के साथ उनकी अंत्येष्टि होगी. उनके गोद लिए हुए बेटे विदेश में रहते हैं. वे शुक्रवार को भारत पहुंचेंगे, तब जाकर जस्टिस लाहोटी का अंतिम संस्कार होगा.

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गुना के रहने वाले थे जस्टिस लाहोटी

मूल रूप से गुना के रहने वाले जस्टिस आरसी लाहोटी के निधन पर देश के तमाम प्रमुख लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, PM नरेंद्र मोदी, CM शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश के पूर्व CM दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री किरिन रिजिजू, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

शुक्रवार को होगा अंतिम संस्कार

जस्टिस लाहोटी का अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह दिल्ली में होगा. गुना और इंदौर से उनका परिवार दिल्ली के लिए रवाना हो गया है. बता दें कि 6 भाइयों में वे दूसरे नम्बर पर थे. उनके परिवार के कई सदस्य शासकीय सेवाओं और कई प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं. उन्हें अपनी कोई संतान नहीं थी, जिसके बाद उन्होंने बेटे को गोद लिया था.

जस्टिस लाहोटी कम शब्दों में बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए जाने जाते थे. 17 महीनों तक वह CJI (Chief Justice of India) के पद पर रहे. उनके कुछ बड़े फैसले और विवाद…

अपनी नियुक्ति के बाद 2004 में ही वह तब सबसे ज्यादा चर्चा में आए, जब अपने से पहले रहे CJI के उस बयान को खारिज किया, जिसमें उन्होंने न्यायपालिका में उभरते भ्रष्टाचार के बारे में चिंता व्यक्त की थी. उस समय जस्टिस लाहोटी ने स्पष्ट रूप से राय दी थी कि न्यायपालिका पूरी तरह से ‘स्वच्छ’ है.

दो से अधिक बच्चों वालों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की नहीं दी अनुमति

अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति लाहोटी ने हरियाणा के उस कानून को बरकरार रखा, जिसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं थी. उन्होंने निजता और धर्म के अधिकार पर आधारित तर्कों को खारिज कर दिया.

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असम में प्रवासियों पर अवैध प्रवासियों के अधिनियम को रद्द करना

उनका एक और निर्णय, जो सबसे ज्यादा चर्चित रहा, वो था असम में प्रवासियों पर अवैध प्रवासियों (ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारण) के अधिनियम को रद्द करना. 2005 में असम गण परिषद के सांसद सर्बानंद सोनोवाल ने इस एक्ट के खिलाफ एक रिट याचिका दायर की. इस याचिका को स्वीकार करते हुए तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से 1983 अवैध प्रवासी (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम को रद्द कर दिया. इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश आरसी लाहोटी, न्यायमूर्ति जीपी माथुर और पीके बालासुब्रमण्यन शामिल थे.

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तमिलनाडु के चर्चित कांची शंकराचार्य मामले में आरोपियों को दी थी जमानत

मुख्य न्यायाधीश आरसी लाहोटी उस समय भी चर्चा में आए, जब उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में तमिलनाडु के चर्चित कांची शंकराचार्य मामले में आरोपियों को जमानत दे दी. 3 सितंबर 2004 को तमिलनाडु के कांचीपुरम मंदिर के कार्यालय में धारदार हथियार से शंकर रमन की हत्या कर दी गई थी. दोनों शंकराचार्यों के खिलाफ वित्तीय हेरफेर के आरोप लगे थे. शंकर रमन के परिजन ने शंकराचार्यों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद विष्णुकांची थाने में केस दर्ज हुआ और इस मामले की जांच शुरू कर दी गई थी.

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