भोपाल: तारीख 17 अक्टूबर, वक्त दोपहर 12 बजे, यूं तो ये समय तय किया गया था कांग्रेस के घोषणा पत्र को जारी करने का। लेकिन शुरुआत में जिस तरह से मंच पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच  शब्द बाण चले, उससे इतना तय है कि कांग्रेस और कमलनाथ-दिग्गी के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस घोषणा पत्र के लिए आयोजित प्रेस वार्ता में शामिल पत्रकारों के सामने ही कांग्रेस कार्यकर्ता यहां तक कहते सुने गए कि दोनों एक दूसरे को निपटाने में लगे हुए हैं। और ये भी साफ है कि दो फाड़’ हुई कांग्रेस में अब चलेगा ‘कपड़ा फाड़।’  आइए सबसे पहले जानते हैं कि आखिर प्रेस वार्ता की शुरुआत में क्या हुआ?

‘कपड़ा फाड़’ पर कमलनाथ और दिग्विजय आमने-सामने

घोषणा पत्र जारी करने से पहले कमलनाथ अपने उस बयान पर मीडिया के सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने टिकट कटने से नाराज प्रत्याशियों के समर्थकों को कहा था कि वे ‘’दिग्विजय और जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़ें’’। कमलनाथ इसका जवाब देते उससे पहले दिग्विजय ने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा कि ’नामांकन पत्र के साथ जमा होने वाले A-फॉर्म और B-फॉर्म पर दस्तखत किसके होते हैं? प्रदेश अध्यक्ष के तो, कपड़े भी उन्हीं के फटेंगे’’ यानी दिग्विजय ने मीडिया और कार्यकर्ताओं के साथ प्रदेश भर में लाइव चल रहे कार्यक्रम में ये साफ कर दिया कि कपड़े तो कमलनाथ के ही फटेंगे।

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पहली लिस्ट जारी होते ही कांग्रेस में कमलनाथ V/S दिग्गी

कांग्रेस के 144 उम्मीदवारों की सूची रविवार को जारी हुई, इसके बाद कई जगहों पर विरोध के स्वर उठ रहे हैं। सोमवार को कुछ जगहों पर टिकट कटने के बाद कांग्रेस नेताओं ने प्रदर्शन किया। वहीं, कुछ नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी में उलझन शिवपुरी सीट को लेकर है। शिवपुरी से पार्टी ने केपी सिंह को टिकट दिया है। वहीं, इस सीट से कथित तौर पर टिकट देने का वादा कोलारस से बीजेपी के विधायक रहे वीरेंद्र सिंह रघुवंशी से किया गया था। केपी सिंह दिग्विजय के करीबी माने जाते हैं तो वीरेंद्र रघुवंशी को कमलनाथ ने पार्टी ज्वाइन कराई थी, और टिकट का वादा किया था।

लिहाजा वे कमलनाथ गुट के हो गए। जब वीरेंद्र रघुवंशी के समर्थकों ने नाराजगी जताई तो कमलनाथ ने खुले तौर पर दिग्विजय और उनके बेटे का नाम लेते हुए कहा कि वो दिग्विजय और उनके बेटे जयवर्धन के कपड़े फाड़ें, यानी वहां टिकट में इनकी चली। मसलन कांग्रेस के नाथ कमलनाथ नहीं है। और यहां कमलनाथ के कथित सर्वे की भी पोल खुल गई, क्योंकि सर्वे के हिसाब से वीरेंद्र रघुवंशी को टिकट मिलना था। यानी ग्वालियर-चंबल में दिग्गी और उनके बेटे की चली तो महाकौशल में कमलनाथ और उनके बेटे की।

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दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर इशारों में किया कमलनाथ पर वार

कमलनाथ के वायरल वीडियो पर दिग्विजय सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि जब परिवार बड़ा होता है तो सामूहिक सुख और सामूहिक द्वंद दोनों होते हैं। समझदारी यही कहती है कि “बड़े लोग” धैर्यपूर्वक समाधान निकालें। ईश्वर भी उन्हीं का साथ देते हैं जो मन और मेहनत का मेल रखते हैं।

कांग्रेस में कमलनाथ और नकुलनाथ ही ‘नाथ’ बाकी सब ‘अनाथ’

पिछले एक महीने में बयानों को देखें तो ऐसा लग रहा है जैसे कांग्रेस में कमलनाथ और और सांसद बेटे नकुलनाथ की ‘मनमर्जियां’ चल रही हैं और तमाम दावों के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मध्यप्रदेश के निर्णयों से गायब हो गए हैं। सबकुछ कमलनाथ की मनमर्जी से हो रहा है। पहले कमलनाथ कहते हैं कि वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, फिर कहते हैं केंद्रीय नेतृत्व चुनाव लड़ने का फैसला करेगा, अगले दिन उनके बेटे नकुल बोलते हैं कि कमलनाथ छिंदवाड़ा से लड़ेंगे और हुआ भी वही। सोमवार को कमलनाथ ने कहा कि छिंदवाड़ा की 6 सीटों पर कौन चुनाव मैदान में उतरेगा इसका फैसला नकुलनाथ करेंगे और घोषणा छिंदवाड़ा में की जाएगी। इसके फौरन बाद नकुल नाथ छिंदवाड़ा में घोषणा करते हैं कि अमरवाड़ा से कमलनेश प्रताप और परासिया से सोहनलाल वाल्मीकि चुनाव लड़ेंगे। जबकि दोनों के हारने की बात राहुल गांधी के सर्वे में आ चुकी है। यानी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से भी बढ़कर हो गए हैं कमलनाथ और नकुलनाथ।

पुत्र मोह में डूबे दिग्विजय- कमलनाथ में निपटाऊ जंग चरम पर

दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच चल रही एक दूसरे को निपटाने की आंतरिक जंग के पीछे उनके पुत्र मोह को मुख्य कारण माना जा रहा है। दिग्ग्विजय चाहते हैं कि कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में उनके बेटे जयवर्धन सिंह मुख्यमंत्री बनें। वही कमलनाथ  खुद को भावी मुख्यमंत्री बताते हुए अपने बेटे नकुलनाथ को प्रदेश का भविष्य के सबसे बड़े कांग्रेस नेता के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। इसी खींचतान में दिग्विजय अपने सगे छोटे भाई लक्ष्मण सिंह का टिकट भी काटने के पक्षधर थे।

दिग्गी राजा का गणित भांप चुके कमलनाथ ने उनकी इच्छा को दरकिनार कर लक्ष्मण सिंह को चाचौड़ा से फिर टिकट दे दिया। भावी सीएम की रेस में दोनों नेताओं के बीच अपने-अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने की होड़ चल पड़ी है। इसी होड़ के शिकार हुए कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी। अब भारतीय जनता पार्टी या अन्य दल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक जैसे  नेताओं को अपना टिकिट संकट में दिख रहा है। नर्मदापुरम के गिरिजाशंकर शर्मा हों या अन्य दावेदार वे किस पाले में जाएं, उन्हें समझ नहीं आ रहा है। कांग्रेस उन्हें यदि टिकट नहीं देती है तो वह कहीं के नहीं रहेंगे।

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