राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश में जहां एक ओर बिजली को लेकर संकट की स्थिति बन रही है. वहीं दूसरी ओर इस पर राजनीति भी जमकर हो रही है. उपचुनाव के देखते हुए कांग्रेस इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. जिसको लेकर एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार पर हमला बोला है. कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए बिजली संकट पर शिवराज सरकार से कई सवाल पूछे हैं.

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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा, ”मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार प्रदेश में बिजली संकट को लेकर लगातार झूठ परोस रही है, हर जिम्मेदार अलग-अलग कारण बताकर झूठ बोल रहा है. कोई भी प्रदेश में बिजली संकट व बिजली कटौती को लेकर सच्चाई स्वीकारने को तैयार नहीं है.” उन्होंने कहा कि बिजली संकट पर शिवराज सरकार मेरे इन सवालों का दे जवाब-

  • सरकार पावर प्लांटों की वर्तमान स्थिति भी स्पष्ट करें कि उनकी वर्तमान में कितनी यूनिट अभी चालू है, कितनी बंद पड़ी है और बंद के पीछे क्या कारण है?
  • सरकार यह भी स्पष्ट करें कि वर्तमान बिजली संकट को देखते हुए सरकार ने कब और क्या वैकल्पिक इंतजाम किए हैं?
  • सरकार यह भी स्पष्ट करे कि किन-किन निजी कंपनियों से सरकार का अनुबंध है. इस संकट के समय उनसे कितनी आपूर्ति हुई है और सरकार फ़िक्स चार्ज के रूप में उन्हें कुल कितनी राशि का भुगतान करती है?
  • वर्तमान संकट को देखते हुए सरकार ने कही और से यदि बिजली ख़रीद कर आपूर्ति की है तो किससे, कितनी व किस दर पर?

बता दें कि कमलनाथ ने अपनी बात आगे कहते हुए दूसरे ट्वीट में लिखा कि ”पहले तो मध्यप्रदेश में बिजली संकट, कोयले की कमी और अघोषित विद्युत कटौती से ही जिम्मेदार इनकार करते रहे और अब कई दिनो बाद शिवराज सरकार नींद से जागी और अब ख़ुद शिवराज जी स्वीकार रहे है कि प्रदेश में बिजली का संकट है, पर्याप्त आपूर्ति नहीं है. कोयले का भी संकट है. अब जब प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में और कृषि क्षेत्रों में कई दिनो से घंटों बिजली गायब है, किसान व जनता परेशान हो रहे है तो नींद से जागकर कह रहे हैं कि “कोयले का इंतजाम कर रहे हैं. बकाया राशि का भुगतान कर रहे हैं, हर संभव उपाय करेंगे, वैकल्पिक बिजली की व्यवस्था कर रहे हैं. “जबकि यह सब तो पहले ही हो जाना चाहिए था.”

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गौरतलब है कि कोयला कंपनी ने सरकारी भुगतान नहीं होने पर सप्लाई बंद कर दी है. वहीं सिंगाजी पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन आधा हो गया है. सिंगाजी पावर प्लांट की 2400 MW में से 1200 MW की बिजली उत्पादन इकाइयां भी बंद हैं. जबकि संजय गांधी पावर प्लांट में भी कोयला खत्म होने की कगार पर है. फिलहाल प्रदेश में बिजली की जरुरत 10 हजार MW है, लेकिन 8 हजार ही उपलब्ध है. इन दोनों पावर प्लांट से बिजली उत्पादन रुकने से बिजली का संकट और गहरा सकता है.

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