नई दिल्ली. आज पूरे देश की आंखे नम हो गई है. क्योंकि देश ने आज अपना वो बेटा, वो वीर कर्नल खो दिया है, जो अपना एक हाथ कटने के बाद भी देश की सेवा में तत्पर रहते थे.

 हम बात कर रहे है कर्नल नवजोत सिंह बल की, जिन्होंने एक साथ कटने के बाद एक कविता लिखी जिसकी अंतिम लाइने थी कि ‘सेहत का मेरी मिजाज थोड़ा कभी कमजोर था, पर मेरा हौसला हिमालय की चट्टानों से भी ज्यादा कड़ा था.’ बता दें कि उनकी मौत गुरूवार को बेंगलुरू में हुई. वे भारतीय सेना की एलीट पैरा-एसएफ रेजीमेंट के पूर्व सीओ थे और उनकी मौत कैंसर से लड़ते-लड़ते हुई.

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक शौर्य-चक्र विजेता कर्नल नवजोत सिंह बल ने अस्पताल से अपनी आखिरी सेल्फी ली जिसमें वे मुस्कराते हुए दिख रहे हैं. एक हाथ कटने के बावजूद वे युद्ध के मैदान में रहते थे और कैंसर होने के बावजूद 21 किलोमीटर मैराथन में हिस्सा लिया था. आखिरी समय में लिखी उनकी कविता दिखाती है कि वे वाकई में एक सच्चे योद्धा थे.

ये हैं उनकी लिखी पूरी कविता

‘ आर्मी प्रवक्ता अमन आनंद के ट्वीट के मुताबिक कैंसर से पीडि़त होने के बावजूद कर्नल बल ने अपने शरीर की फिटनेस जारी रखी. यहां तक ​​कि एक हाथ से, कर्नल ने 50 पुल-अप किए और 21 किलोमीटर की अर्ध-मैराथन भी दौड़ी. अपनी दाहिनी बांह खोने के बाद, कर्नल बल ने अपने बाएं हाथ से उसी सहजता से फायर करना सीखा. इस बात का जिक्र आर्मी के प्रवक्ता अमन आनंद ने अपने ट्वीट में किया. आनंद लिखते हैं, ‘उसने अपने साथी को तब तब उठाए रखा, जब तक वो गिर नहीं गए. गोलियों के सामने जाबांजी से डटा रहा. कैंसर से जंग लड़ रहा था. उसका एक हाथ जा चुका, इसके बावजूद हार नहीं मानी. हमेशा चेहरे पर मुस्कान रही. इस खालीपन को कोई नहीं भर पाएगा.’

बता दें कि वे पैतृक तौर वे अमृतसर के रहने वाले थे. साल 2003 में कश्मीर में एक मुश्किल ऑपरेशन के लिए शांतिकाल में देश के तीसरे सबसे बड़े बहादुरी पदक, शौर्य चक्र से नवाजा गया था. लेकिन 2018 में उन्हें कैंसर की बीमारी हो गई थी. इसके लिए उनके दाएं हाथ को काटना भी पड़ा था. इसके बावजूद वे अपनी यूनिट को कमांड करते रहे और राजस्थान के थार रेगिस्तान में एक युद्धभ्यास में हिस्सा लिया था.