रायपुर. मुसीबतें सब पर आती हैं, कुछ उससे हताश हो जाते हैं कुछ इतिहास लिख देते हैं. ऐसा ही इतिहास रायपुर की लक्ष्मी ने लिखा है. 17 साल की लक्ष्मी यादव को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है. छ्त्तीसगढ़ से इस पुरस्कार के लिए चुनी जाने वाली लक्ष्मी इकलौती लड़की है. लक्ष्मी को यह पुरस्कार बहादुरी के साथ बदमाशों का मुकाबला करते हुए खुद को बचाने के लिए मिला. इस बहादुरी के लिए लक्ष्मी को 2016 में राज्य वीरता पुरस्कार दिया गया और अब राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है. जो 26 जनवरी को प्रधानमंत्री के हाथों दिया जाएगा.

घटना 2015 की है जब लक्ष्मी अपने दोस्त के साथ सड़क किनारे खड़ी होकर बात कर रही थी, तभी कुछ गुंडे आए और बद्तमीजी करने लगे. जिससे डरकर साथ खड़ा उसका दोस्त मौके से भाग गया. लक्ष्मी को अकेला पाकर गुंडों ने किडनैप करने की कोशिश भी की लेकिन लक्ष्मी इनका इरादा भांप गई. आगे लक्ष्मी ने जिस बहादुरी से गुंडों का मुकाबला किया. वो अपने आप में एक मिसाल है. लक्ष्मी गुंडों से खुद को बचाते हुए पुलिस स्टेशन पहुंची. पुलिस अधिकारी भी हैरान थे. पुलिस लक्ष्मी को लेकर उसके घर गई.

लेकिन मुसीबतें खत्म नहीं हुई, घर वाले जहां इस पूरी घटना से बेहद घबरा गए थे. वहीं अास-पड़ोस के लोगों ने तरह-तरह की बातें करनी शुरु कर दी. लक्ष्मी के चरित्र पर भी लोग सवाल उठाने से नहीं चूके. इन सब बातों का असर घरवालों पर हुआ. वो परेशान होने लगे लेकिन लक्ष्मी सिर्फ एक ही बात कहती कि अगर हमने गलती नहीं की तो डरने की भी जरुरत नहीं.

लक्ष्मी का ये जज्बा रंग लाया जब प्रदेश सरकार ने राज्य वीरता पुरस्कार देने की घोषणा की और उसके बाद राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार की घोषणा हुई जिसमें भी लक्ष्मी का नाम था. उसके बाद तो पूरे देश में लक्ष्मी की बहादुरी के चर्चे होने लगे.

मुफलिसी में भी मुसीबतों से लड़ने का हौसला 
लक्ष्मी बेहद गरीब परिवार से आती है. माता-पिता दोनों ही मजदूरी करके परिवार का गुजारा करते हैं. बहुत छोटे से घर में बारह लोग रहते हैं. शायद जिंदगी की इन ठोकरों ने ही लक्ष्मी को इतना मजबूत बनाया कि आज उसकी बहादुरी देश की बेटियों के लिए एक मिसाल है.