रायपुर. कोरोना संक्रमण के भयावह होते आंकड़ों पर खबर लिखते वक्त अब हर रोज हाथ कंपकपाने लगे हैं. मौत के बढ़ते आंकड़ें शरीर में सिहरन पैदा कर रहे है. श्मशान घाटों से आ रही चिताओं की जलती तस्वीर दिल दहला रहे हैं. कोई अस्पताल में जगह ढूंढ रहा है, तो कोई इंजेक्शन के लिए लाइन लगाए खड़ा है, किसी को आक्सीजन चाहिए, तो कोई मर चुके अपने परिजनों की बाॅडी लेने की मशक्कत में जुटता दिखता है. मायूसी का ऐसा सैलाब, इससे पहले शायद ही किसी ने देखा होगा. गहरे अवसाद में डूबे लोगों के सामने आज ऐसा क्या है, जिसे सुनकर, देखकर, पढ़कर सुकून मिल सके.

लेकिन रूकिए!  ये तस्वीर हमारी जिंदगी का एक कोना मात्र है. इसके अलग-अलग कोने बाकी हैं, जहां अवसाद के इस अंधेरे के खिलाफ उम्मीद की रोशनी जलाए लोग खड़े दिखते हैं. कुछ लोग हैं, जिन्हें अपने से ज्यादा हम सब की चिंता हैं. कुछ लोग हैं, जो इस वक्त चुनौतियों से डर नहीं रहे, बल्कि पूरी निडरता से उसका सामना कर रहे हैं. कुछ लोग हैं, जो अपनों के साथ समाज को बचाने का मोर्चा लिए खड़े हैं. इन चेहरों में डाॅक्टर्स हैं, नर्स हैं, वार्ड बाॅय हैं, सफाई कर्मी है, सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों की एक बड़ी टीम है, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, जो विपरीत हालातों में भी इसलिए मुस्तैद हैं कि जिंदगी बचाई जा सके.

जाहिर है इनमें से कुछ के लिए इस समय काम करना उनकी नौकरी का हिस्सा भी हो सकता है, पर बहुतों के लिए संकट का यह समय सेवा का अवसर है. दरअसल ये हमारे नायक हैं. लल्लूराम डाॅट काम ऐसे ही नायकों की कहानियों को आप तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. इन नायकों की कहानियां आप हमें बताइए. उनके काम को बताइए, उनकी तस्वीरें भेजिए.

लल्लूराम डाॅट काम का संपादक मंडल पूरी पड़ताल के बाद आपकी भेजी जानकारियों में से चुनिंदा कहानियों का प्रकाशन करेगा, ताकि दुनिया उन्हें जाने जिन्हें अपने से ज्यादा दुनिया की फ्रिक है. आप ऐसी जानकारियां हमें तस्वीरों के साथ हमारे मोबाइल नंबर 9109121417 पर भेज सकते हैं.

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