गौरव जैन, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही. लगभग 125 वर्षों पुराना अंग्रेजों के शासन काल से संचालित पेण्ड्रारोड मौसम विज्ञान केंद्र अपनी दुर्दशा के लिए आंसू बहा रहा है. इसका भवन और परीसर बेहद ही जीर्णशीर्ण अवस्था में है. प्रदेश के सात सबसे प्रमुख मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक पेण्ड्रारोड मौसम केंद्र है. मध्य भारत के मौसम संबंधित आंकड़ो और पूर्वनुमानो की जानकारी जुटाने के लिए इसे स्थापित किया गया था.

सालों पुराने हो चुके इस भवन में कर्मचारियों का काम करना जोखिम भरा रहता है. भवन की दीवारें कमजोर होकर उखड़ने लगी है. भवन की मजबूती भी पहले जैसी नहीं रही. जिससे कभी भी हादसा हो सकता है. बारिश के समय परिसर में सांप-कीड़े-बिच्छू का भी डर बना रहता है. यहां के कर्मचारियों ने बताया कि केंद्रीय कार्यालय नागपुर से नए भवन की सहमति मिल चुकी है. सिर्फ जमीन की तलाश है. लगभग दो साल पहले नए भवन की भूमि के लिए कलेक्टर के पास भी आवेदन किया जा चुका है. लेकिन अभी तक किसी भी तरह की जमीन आबंटित नहीं होने से जर्जर भवन संबंधित समस्या बढ़ने लगी है.

इस केंद्र से होते रहे हैं महत्वपूर्ण टेस्ट

प्रदेश के सात प्रमुख मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक पेंड्रारोड में तापमान मापन, प्रेशर दाब, आर्द्रता, हवा की दिशा गति, बारिश संबंधित सभी आंकड़े और पूर्वनुमानों की जानकारी केंद्रीय कार्यालय भेजी जाती है. पहले बलून पायलेट जैसे महत्वपूर्ण टेस्ट भी इसी केंद्र से किए जाते रहे हैं.

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