चंद्रकांत देवांगन, दुर्ग। लॉक डाउन की वजह से लोग पिछले दो महीने से अपने घरों में कैद हैं. ये लॉक डाउन बेबस असहाय, गरीब सहित कई लोगों के लिए आफत बन कर टूट पड़ा है. इन सबके बीच एक ऐसा वर्ग भी है, जिस पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है, यह वर्ग समाज में सदा से ही उपेक्षित रहा है, जिसके रोजी-रोटी का जरिया दूसरों के घर मनाए जाने वाली खुशियों में नाच-गाकर, दुआएं देकर चलता है. हम बात कर रहे हैं किन्नरों की जिन्हें समाज के भीतर भिन्न-भिन्न नामों से भी पुकारा जाता है. लेकिन सरकार ने अब उन्हें एक सम्मान जनक नाम थर्ज जेंडर दे दिया है.

लॉक डाउन के दौरान शादी-ब्याह समेत तमाम तरह के उत्सव मनाने पर सरकार ने प्रतिबंध लगा है. प्रशासन अऩुमति दे भी रही है तो सीमित लोगों के शामिल होने की ही. जिसके चलते तृतीय लिंग (किन्नर) समुदाय के सामने रोजी रोटी की बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है. सामान्यतः ऐसे अवसरों पर दुआएं देकर और बख्शीश मांगकर ये अपना जीवन यापन करते हैं.

समाज सेविका सोनिया गजभिये के साथ तृतीय लिंग समुदाय दुर्ग कलेक्टर से मुलाकात की और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर और महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया के नाम उन्होंने ज्ञापन सौंपकर मदद की गुहार लगाई है.

किन्नरों का कहना है कि उनके सामने रोजी रोटी के साथ ही आवास की भी समस्या है. घर नहीं होने से वे सड़क किनारे सोने के लिए मजबूर हैं. केन्द्र द्वारा लॉक डाउन में उपजे हालातों से राहत देने के लिए 1500 रुपये प्रति व्यक्ति देने की घोषणा की है. यह राशि रायपुर, बिलासपुर, महासमुंद, रायगढ़ और धमतरी में किन्नरों को वितरित की जा रही है लेकिन दुर्ग जिले में अब तक इसका वितरण नहीं हो पाया है.

समाज सेविका सोनिया गजभिये ने बताया कि जिले में तृतीय लिंग समुदाय की आबादी 650 है, राशन कार्ड नहीं होने से ये सरकारी राशन दुकान से मिलने वाले राशन से भी वंचित हैं. केन्द्र द्वारा दी गई आर्थिक सहायता भी अभी तक जारी नहीं की गई है. जिला प्रशासन से मुलाकात के बाद तृतीय लिंग के समुदाय के लोगो को जरुरतो को देखते हुए दुर्ग कमिश्नर को राशन की व्यवस्था के लिए कहा है. हालांकि इन आश्वासनों के बाद इनकी मुश्किलें कब तक कम होती है, यह देखने वाली बात है.