हर्षराज गुप्ता, खरगोन। खरगोन मध्य प्रदेश का महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। यह संसदीय क्षेत्र 1962 में अस्तित्व में आया। नर्मदा घाटी में बसे होने के कारण यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से खूब भरापूरा है। सतपुड़ा की पर्वत श्रेणियां और नर्मदा नदी से यह इलाका घिरा हुआ है। कुंदा और वेदा नदियां भी इसी क्षेत्र से बहती हैं। यहां रामायण काल, महाभारत काल, सातवाहन, कनिष्क, चालुक्य, भोज, होलकर, सिंधिया, मुगल और ब्रिटिश कालीन स्मारक आज भी मिलते हैं। इस क्षेत्र में पाषाणकालीन ईमारतें भी है।

मध्य प्रदेश की खरगोन लोकसभा चुनाव सीट पर देखा जाए तो विगत 15 वर्षों से लगातार ही भाजपा काबिज होती आ रही है और इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस अपनी जीत के लिए लगातार ही प्रयासरत है। लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही है। वर्तमान लोकसभा चुनाव में भी मोदी लहर पर सवार प्रत्याशी के सामने कांग्रेस ने समाजसेवी और सेलटेक्स विभाग से वीआरएस लेकर राजनीति में उतरे पोरलाल खरते को चुनावी मैदान में उतारा है।

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आम चुनाव 2024 खरगोन लोकसभा सीट से प्रत्याशी

  • बीजेपी – गजेंद्र उमराव सिंह पटेल
  • कांग्रेस – पोरलाल खरते

8 बार बीजेपी, 5 बार कांग्रेस को मिली जीत

हालांकि सामाजिक स्तर पर उन्हें मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है। खरगोन सीट पर 16 आम चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से पांच बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है, जबकि 8 बार बीजेपी को जीत मिली है, इसके अलावा 2 चुनाव भारतीय जनसंघ और 1 बार लोकदल ने जीता है।

शुरुआत दौर से कांग्रेस का रहा कब्जा

निमाड़ के चार जिलों को दो भागों में बांटा जाता है। एक पूर्वी तो दूसरा पश्चिमी निमाड़। पूर्वी निमाड़ में खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा सीट आती है तो पश्चिमी निमाड़ में खरगोन-बड़वानी लोकसभा सीट आती है। वर्ष 1952 से शुरू हुए खरगोन (तब नाम निमाड़) संसदीय क्षेत्र के चुनाव में शुरुआती दौर में कांग्रेस का कब्जा रहा लेकिन 10 वर्ष बाद ही 1962 में जनसंघ ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली।

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मतदाताओं की संख्या

2011 की जनगणना के मुताबिक खरगोन की जनसंख्या 26,25,396 है। यहां की 84.46 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 15.54 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। यहां अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या अच्छी खासी है। खरगोन में 53.56 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है और 9.02 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है। संसदीय क्षेत्र में 20 लाख 39 हजार 65 मतदाता है, जिनमें पुरुष 10 लाख 20 हजार 945, महिला 10 लाख 18 हजार 92 है, अन्य 19 और सेवा मतदाता 375 है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

खरगोन लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1962 में हुआ। फिलहाल यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। यहां पर हुए पहले चुनाव में जनसंघ के रामचंद्र बडे को जीत मिली थी। हालांकि अगले चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के एस बाजपेयी को जीत मिली। 1971 के चुनाव में रामचंद्र ने एक बार फिर वापसी की और कांग्रेस के अमलोकाचंद को मात दी।

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बीजेपी को पहली बार इस सीट पर जीत 1989 में मिली और अगले 3 चुनावों में उसने यहां पर विजय हासिल की। कांग्रेस ने 1999 में यहां पर फिर वापसी की और ताराचंद पटेल यहां के सांसद बने। इसके अगले चुनाव 2004 में बीजेपी के कृष्ण मुरारी जीते। 2007 में यहां पर उपचुनाव और कांग्रेस ने वापसी की। 2009 में परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई। और 2009 में मकन सिंह सोलंकी चुनाव जीते। इसके बाद 2014 में सुभाष पटेल सांसद बने। वर्तमान में गजेंद्र पटेल 2019 का चुनाव जितने के बाद सांसद है।

लोकसभा क्षेत्र में आती है 8 विधानसभा सीट

खरगोन लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत खरगोन, कसरावद, भगवानपुरा, महेश्वर, बड़वानी, राजपुर, पानसेमल और सेंधवा विधानसभा शामिल है।

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ये मुद्दे प्रमुख

लोकसभा चुनाव में केवल रेल लाइन का मुद्दा गरमाया हुआ है। क्योंकि निमाड़ के खरगोन जिले में सफेद सोना कपास की बंपर पैदावार होती है, जो देश-विदेश तक जाता है। ऐसे में रेल लाइन नहीं होने से व्यापार पर असर गिर रहा। इसी के साथ एशिया की दूसरे नंबर की मिर्ची मंडी भी खरगोन जिले में स्थापित है।

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