स्पेशल डेस्क, भोपाल। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के दूसरे चरण में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की 6 सीटों पर मतदान जारी है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र खजुराहो से उन्हीं पर एक बार फिर भरोसा जताया गया है। कांग्रेस और सपा ने इस सीट में गठबंधन किया है और यहां से आल फारवर्ड ब्लाक के प्रत्याशी आरबी प्रजापति को अपना समर्थन दिया है। इस सीट पर पहले सपा ने मनोज यादव को प्रत्याशी को प्रत्याशी बनाया। इसके बाद उनका टिकट काटकर मीरा दीपक यादव को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन उनका नामांकन रद्द हो गया था जिसके बाद इंडी गठबंधन ने आरबी प्रजापति को अपना समर्थन दिया था। 

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बीजेपी का गढ़ रही है खजुराहो लोकसभा सीट 

 खजुराहो लोकसभा सीट को सबसे हॉट सीट के साथ भाजपा का गढ़ भी माना जाता है। यह सीट अलग-अलग कालखंड में भाजपा और कांग्रेस के पाले में आती-जाती रही है। हालांकि, इस सीट पर भाजपा का प्रभाव ज्यादा रहा। हम आपको उस सीट के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर बीजेपी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सांसद हैं। खजुराहो लोकसभा सीट चंदला, रामनगर, पवई, गुनौर, पन्ना, विजय राघवगढ़, मुड़वारा और बहोरीबंद समेत आठ विधानसभा समाहित हैं।

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कब किस पार्टी के प्रत्याशी का रहा दबदबा

खजुराहो लोकसभा सीट (Khajuraho Loksabha) पर शुरुआती दबदबा कांग्रेस का हुआ करता था। लेकिन साल 1989 के बाद लगातार चार बार सांसद चुनी गई उमा भारती ने खजुराहो सीट को भाजपा के गढ़ में बदल दिया। 1999 के चुनाव को छोड़कर बाद में भी भाजपा प्रत्याशी ही सांसद चुने गए। स्वतंत्रता के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में खजुराहो स्वतंत्र सीट नहीं थी। दूसरे चुनाव वर्ष 1957 में छतरपुर जिले की चार और टीकमगढ़ जिले की चार विधानसभा सीटों को मिलाकर खजुराहो लोकसभा सीट बनाई गई। वर्ष 1967 व 1971 के चुनाव में भी खजुराहो स्वतंत्र सीट नहीं रही। क्षेत्र का बड़ा हिस्सा टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में रहा।

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साल 1977 के बाद से खजुराहो स्वतंत्र सीट के रूप में कायम है। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन से पहले खजुराहो लोकसभा सीट में टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर जिले की आठ विधानसभा सीटें शामिल थीं। परिसीमन के बाद इसमें छतरपुर, पन्ना और कटनी जिले की कई विधानसभा सीटें जुड़ गईं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से इसका यह स्वरूप अभी तक है।

स्वतंत्रता के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में खजुराहो स्वतंत्र सीट नहीं थी। दूसरे चुनाव वर्ष 1957 में छतरपुर जिले की चार और टीकमगढ़ जिले की चार विधानसभा सीटों को मिलाकर खजुराहो लोकसभा सीट बनाई गई। वर्ष 1967 व 1971 के चुनाव में भी खजुराहो स्वतंत्र सीट नहीं रही। क्षेत्र का बड़ा हिस्सा टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में रहा।

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साल 1977 के बाद से खजुराहो स्वतंत्र सीट के रूप में कायम है। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन से पहले खजुराहो लोकसभा सीट में टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर जिले की आठ विधानसभा सीटें शामिल थीं। परिसीमन के बाद इसमें छतरपुर, पन्ना और कटनी जिले की कई विधानसभा सीटें जुड़ गईं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से इसका यह स्वरूप अभी तक है।

1980 से 1999 के चुनाव तक कांग्रेस के चतुर्वेदी परिवार का रहा इस सीट पर दबदबा

इस सीट पर कांग्रेस से पंडित राम सहाय सांसद रह चुके हैं। वर्ष 1980 में कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी यहां से सांसद चुनी गईं। इसके बाद खजुराहो लोकसभा सीट पर चतुर्वेदी परिवार का प्रभाव बढ़ गया। वर्ष 1984 में भी विद्यावती ही सांसद चुनी गईं। 1989 से 1998 तक इस सीट पर उमा भारती सांसद रहीं। 

विद्यावती चतुर्वेदी के पुत्र सत्यव्रत चतुर्वेदी कांग्रेस के नए तेजतर्रार चेहरे के रूप में सामने आए और वर्ष 1999 में इसी सीट से लोकसभा चुनाव भी जीता मां-बेटे ने यहां से कई बार विधानसभा चुनाव भी जीता। सत्यव्रत चतुर्वेदी राज्यसभा सदस्य भी रहे।

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2004-भाजपा के रामकृष्ण कुसमरिया यहां से सांसद बने।
2009- भाजपा के जितेंद्र सिंह बुंदेला विजयी रहे।
2014- नागेंद्र सिंह (भाजपा) ने यहां से जीत दर्ज की।

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2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के वीडी शर्मा ने इस सीट पर रिकॉर्ड जीत दर्ज कर कांग्रेस प्रत्याशी कविता सिंह नातीराजा को 4 लाख 92 हजार के अंतर से हराया था। खजुराहो लोकसभा सीट पर हमेशा से स्थानीय व्यक्ति को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग रही है। 1990 के बाद के चुनावों को देखें तो इस सीट पर हुए चुनावों में सात बार बीजेपी को जीत हासिल हुई जबकि केवल एक बार कांग्रेस के प्रत्याशी ने यहां चुनाव जीता है। एक तरह से देखा जाए तो यह बीजेपी का गढ़ है और यहां किसी और पार्टी का बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाना इतना आसान नजर नहीं आता।

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खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के मतदाता की स्थिति

कुल मतदाता : 18,31,837
पुरुष मतदाता : 9,65,170
 महिला मतदाता : 8,66,641
थर्ड जेंडर : 26

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