राकेश चतुर्वेदी, भोपाल. देश का दिल है मध्य प्रदेश और प्रदेश की धड़कन धड़कती है राजधानी भोपाल में. तालाब और पहाड़ियों के बीच बसे शहर में राजा भोज साम्राज्य और नवाबकालीन मुददे चुनावी चर्चा का केंद्र रहते हैं. बीजेपी के मिशन 400 पार के बीच भोपाल फिर देशभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. कारण है भोपाल लोकसभा में 1989 के बाद से बीजेपी का एकतरफा कब्जा होना.

2019 में हुआ था रोचक मुकाबला

2019 में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के बीच हुए रौचक मुकाबले में दिग्विजय सिंह को लाख वोट से हार का सामना करना पड़ा था. मध्य प्रदेश की इस हाई प्रोफाइल सीट पर बीजेपी ने इस बार पूर्व महापौर आलोक शर्मा को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस को चेहरे की तलाश है.

BJP का गढ़ बनी भोपाल

आज हम जानते हैं मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से सबसे खास सीट भोपाल लोकसभा के बारे में. पूरी राजधानी सहित सीहोर विधानसभा से मिलकर बनी भोपाल लोकसभा सीट पर तीन दशक पहले बीजेपी ने ऐसी पैठ बनाई कि इसके बाद से यहां किसी अन्य दल का खाता नहीं खुल सका. 1989 में बीजेपी के सुशील चंद्र वर्मा को यहां की जनता ने सांसद चुना और इसके साथ ही भोपाल लोकसभा बीजेपी का गढ़ बन गई.

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सेंध लगाने के लिए विपक्षी दलों ने किए कई प्रयोग

बीजेपी के दबदबे वाली इस सीट पर सेंध लगाने के लिए विपक्षी दलों ने कई प्रयोग किए. कांग्रेस ने बीजेपी उम्मीदवारों को हराने के लिए कई बड़े दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारे, लेकिन उन्हें हर बार शिकस्त मिली. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भोपाल सीट झटकने के लिए बड़ा सियासी दांव खेला था. कांग्रेस ने इस सीट से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था. दिग्विजय सिंह ने जमीनी जमावट और पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा लेकिन दिग्विजय सिंह 3 लाख 64 हजार 822 वोट से हार गए. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को कुल 8 लाख 66 हजार 482 वोट मिले, जबकि दिग्विजय सिंह को 5 लाख 1 हजार 660 वोट से संतोष करना पड़ा.

भोपाल से आडवाणी भी लड़ना चाहते थे चुनाव

इस बार बीजेपी ने साध्वी का टिकट काटकर पूर्व महापौर आलोक शर्मा को मैदान में उतारा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में लाल कृष्ण आडवाणी भी भोपाल से चुनाव लड़ना चाहते थे. बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने उन्हें गांधीनगर से चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन कहा जाता है कि आडवाणी इस फैसले से खुश नहीं थे और भोपाल से चुनाव लड़ने पर अड़े हुए थे. यह सस्पेंस कई दिनों तक जारी रहा था. आखिर में आडवाणी ने गांधीनगर से चुनाव लड़ने का फैसला किया और भोपाल से आलोक संजर को मौका दिया गया.

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भोपाल लोकसभा का चुनावी इतिहास

भोपाल लोकसभा सीट का गठन 1952 में हुआ था. 1952 में पहली बार कांग्रेस के सईदउल्ला रज्मी यहां से सांसद चुने गए थे, 1957 से 1962 तक मैमूना सुल्तान, 1967 में भारतीय जन संघ के जगन्नाथराव जोशी, 1971 में कांग्रेस के शंकरदयाल शर्मा, 1977 में जनता दल से आरिफ बेग, 1980 से कांग्रेस के शंकरदयाल शर्मा, 1984 में कांग्रेस के केएन प्रधान, 1989 से 1998 तक बीजेपी के सुशीलचंद्र वर्मा, 1999 में बीजेपी की उमा भारती, 2004 और 2009 में कैलाश जोशी, 2014 में आलोक संजर और वर्तमान में प्रज्ञा ठाकुर सांसद रहीं.

इस संसदीय क्षेत्र में हैं 8 विधानसभा

भोपाल लोकसभा सीट में के आठ विधानसभा क्षेत्र लगते हैं. इनमें भोपाल जिले की सातों विधानसभाओं के साथ बैरसिया, भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा, हुजूर और सीहोर विधानसभा शामिल हैं.

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भोपाल के एक मोहल्ले ने दिए तीन सांसद

राजधानी भोपाल का एक मोहला ऐसा है, जहां के रहने वाले तीन नेता भोपाल के सांसद बन चुके हैं. इसी मोहल्ले के रहने वाले पूर्व महापौर आलोक शर्मा को बीजेपी ने लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है. इस मुहल्ले का नाम है गूजरपुरा, जो भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र में आता है. 1957 में इसी मोहल्ले की मैमूना सुल्तान के रूप में भोपाल को महिला सांसद मिलीं. मैमूना दूसरी बार भी सांसद चुनी गईं. डॉ शंकरदयाल शर्मा 1971 में भोपाल से सांसद बने. केन्द्र में मंत्री भी रहे और 1984 में डॉ शर्मा भारत के आठवें उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए. 1992 में भारत के राष्ट्रपति बने. इसी मोहल्ले में रहे केएल प्रधान 1984 में भोपाल के सांसद चुने गए.

मतदाताओं की संख्या

  • कुल मतदाता- 23 लाख 28 हजार 59
  • पुरुष मतदाता- 11 लाख 95 हजार 428
  • महिला मतदाता- 11 लाख 32 हजार 454
  • थर्ड जेंडर- 177
  • 2019 की तुलना में इस बार 2.26 लाख अधिक मतदाता हैं.

तीसरे चरण में होगा मतदान

भोपाल लोकसभा सीट के लिए तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होगा. नतीजे 4 जून को आएंगे. उम्मीदवार 12 अप्रैल से 19 अप्रैल तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे.

भोपाल में मतदान प्रतिशत

2019 के लोकसभा चुनाव में 14,07, 954 मतदाताओं ने हिस्सा लिया. मतदान प्रतिशत 65.70 रहा. 2014 के लोकसभा चुनाव में 11,30,182 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. मतदान प्रतिशत 57.75 प्रतिशत रहा.

भोपाल के सांसद

  • साध्वी प्रज्ञा ठाकुर- 2019 (बीजेपी)
  • आलोक संजर- 2013 (बीजेपी)
  • कैलाश जोशी- 2009 (बीजेपी)
  • कैलाश जोशी- 2004 (बीजेपी)
  • उमा भारती- 1999 (बीजेपी)
  • सुशील चंद्र वर्मा- 1998 (बीजेपी)
  • सुशील चंद्र वर्मा- 1996 (बीजेपी)
  • सुशील चंद्र वर्मा- 1991 (बीजेपी)
  • सुशील चंद्र वर्मा- 1989 (बीजेपी)
  • केएन प्रधान- 1984 (कांग्रेस)
  • शंकर दयाल शर्मा- 1980 (कांग्रेस)
  • आरिफ बेग- 1977 (बीएलडी)

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