प्रीत शर्मा, मंदसौर। देशभर में लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। सभी राजनीतिक पार्टियां देशभर की तमाम सीटों पर अपने अपने उम्मीदवारों पर कड़ा मंथन कर नामों की घोषणाएं भी कर रही है। ऐसे में देश मे चुनावी माहौल बनने के बाद नेता भी जनता को सभाएं और बयानों से लुभाने में लगे हुए है। लेकिन नेताओं के लुभावने वादों का देश की जनता क्या जवाब देगी यह तो आने वाली 4 जून पता चल सकेगा, लेकिन इस बीच में चलने वाला चुनावी माहौल रोमांचक होने वाला है।
मंदसौर की धरातल स्थिति
मंदसौर का पुराना नाम दशपुर था। मंदसौर मप्र के उत्तर-पश्चिम में स्थित है, जो उज्जैन कमिश्नर संभाग के अंतर्गत आता है। यह जिला राजस्थान के चार जिलों पश्चिम और उत्तर में चित्तौड़गढ़, उत्तर में भीलवाड़ा, उत्तर-पूर्व में कोटा और पूर्व में झालावाड़ के साथ ही दक्षिण में मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की सीमा से लगा हुआ है। पुरातात्विक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। शिवना नदी के किनारे स्थित भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के कारण यह देश भर में प्रसिद्ध है। यह प्रदेश का औसत क्षेत्रफल वाला जिला है। जो 142 किमी उत्तर से दक्षिण और 124 किमी पूर्व से पश्चिम की ओर फैला हुआ है। इसका कुल क्षेत्रफल 5521 वर्ग KM है। यहां मालवी भाषा बोली जाती है। जो राजस्थानी और हिंदी की मिश्रित भाषा है। यहां अफीम का उत्पादन विश्व में सबसे अधिक होता है। इस कारण भी यह जिला पूरे देश में जाना जाता है।
जब चर्चा में आया मंदसौर
मंदसौर उस वक्त देशभर में चर्चाओं में आया था जब 2017 के जून में हुए किसान गोलीकांड में 6 किसानों की मौत हो गई थी। जिसके बाद देशभर में राजनीतिक बयानबाजियां तेज़ हो गई थी। इतना ही नहीं 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में किसानों के लिए कर्ज माफी की घोषण भी राहुल गांधी ने यही से की थी। जिसके बाद प्रदेश में कांग्रेस सरकार तो बनी लेकिन मंदसौर में कांग्रेस को कोई फायदा नहीं मिला। घोषणा से पूर्व भी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के एकमात्र विधायक थे और चुनावी परिणाम आने पर भी संसदीय क्षेत्र की आठों सीटों पर कोई परिवर्तन नहीं हुआ। बाद में वह तत्कालीन विधायक हरदीप सिंह डंग भी भाजपा के खेमे में चले गए।
3 जिलों की इन 8 विधानसभा सीटों से मिलकर बनी है मंदसौर लोकसभा
मंदसौर लोकसभा मंदसौर, नीमच और रतलाम जिले से मिलकर बनी है। जिसमे मंदसौर जिले की मंदसौर, मल्हारगढ़, सुवासरा और गरोठ विधानसभा आती है। वहीं नीमच जिले की नीमच, मनासा और जावद विधानसभा आती है। इसके साथ रतलाम जिले की जावरा विधानसभा भी मंदसौर लोकसभा में आती है।
इस बार मतदाताओं की संख्या और पोलिंग स्टेशन
मंदसौर लोकसभा सीट पर इस बार 2151 पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। जिस पर लोकसभा क्षेत्र के 18 लाख 92 हजार 12 मतदाता मतदान करेंगे। जिसमें 9 लाख 55 हजार 347 पुरुष मतदाता तो वहीं 9 लाख 36 हजार 639 महिला मतदाता शामिल है। इसके अलावा लोकसभा क्षेत्र में 26 ट्रांसजेंडर भी इस अपने मतो का उपयोग करेंगे। क्षेत्र का जेंडर रेशो वर्तमान में 980.14 है।
मंदसौर के मतदान प्रतिशत की स्थिति और हार जीत का अंतर
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सुधीर गुप्ता ने यहां पर जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन को हराया था। सुधीर गुप्ता को 698335 वोट मिले थे, तो वहीं मीनाक्षी नटराजन को 394686 वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 303649 वोटों का था। 2014 में मंदसौर लोकसभा का मतदान प्रतिशत 71.415% रहा था।
साल 2019 में भी बीजेपी ने सुधीर गुप्ता को दोबारा टिकट दिया। वहीं कांग्रेस ने भी मीनाक्षी नटराजन को उम्मीदवार बनाया। लेकिन उस वक्त भी मीनाक्षी नटराजन को पहले से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा। 2019 में कुल 13 लाख 70 हजार 667 वोट पड़े जिसमें से बीजेपी के सुधीर गुप्ता को 8 लाख 47 हजार 786 वोट मिले। वहीं कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन को महज 4 लाख 71 हजार 52 वोट मिले थे। उस दौरान बीजेपी के सुधीर गुप्ता ने 3 लाख 76 हजार 734 मतों से जीत दर्ज की थी। 2019 में मतदान प्रतिशत 77.80% रहा था।
सामाजिक ताना-बाना और दर्शनीय स्थल
मंदसौर मध्य प्रदेश का वो जिला है जो हिंदू और जैन मंदिरों के लिए खासा लोकप्रिय है। आजादी के पहले यह ग्वालियर रियासत का हिस्सा था। पशुपतिनाथ मंदिर, बही पारसनाथ जैन मंदिर और गांधी सागर बांध यहां के मुख्य दर्शनीय स्थल हैं। इस जिले में अफीम का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। मंदसौर राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कोटा, भीलवाड़ा, झालावाड़ और मध्य प्रदेश के रतलाम जिलों से घिरा हुआ है।
भाजपा के पक्ष में रही क्षेत्र की सियासी हवा
यह कहना गलत नहीं होगा कि यहां की सियासी हवा बीजेपी के पक्ष की रही है। भाजपा यहां से 11 बार तो कांग्रेस महज 5 बार ही जीत पाई है। सबसे अधिक बार यहां से BJP के कद्दावर नेता डॉक्टर लक्ष्मीनारायण पांडेय 8 बार सांसद रहे है। इसके अलावा इस सीट से कांग्रेस के कैलाशनाथ काटजू सहित बालकवि बैरागी भी सांसद रह चुके है। राजनीतिक तौर पर क्षेत्र की बड़ी बात यह है की यहां कभी भी कोई तीसरा दल अपना वजूद नहीं जमा पाया।
इस सीट पर हमेशा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही रहा है। वर्तमान में मौजूदा सांसद रहे सुधीर गुप्ता को बीजेपी ने 2024 के लिए अब फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। 2014 में मोदी लहर में विजय के बाद सुधीर गुप्ता को 2019 में भी टिकट दिया गया। जहां उनकी अग्नि परीक्षा थी। जिसमें वे पहले से अधिक नंबरों से पास भी हुए थे। इसी के चलते पार्टी फिर से उन्हें ही मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस इस सीट पर अब तक अपना उम्मीदवार नहीं उतार पाई है।
क्षेत्र के वो मुद्दे जिन्हें पूरा नहीं कर पाए नेता
- क्षेत्र में सबसे ज्यादा कमी रोजगार की है, क्योंकि मंदसौर नीमच संसदीय क्षेत्र में ऐसा कोई बड़ा उद्योग नहीं है, जिसमें गरीबों को रोजगार मिल सके और जो उद्योग पहले थे भी वह भी बंद हो चुके है या बंद की कगार पर है ऐसे में बेरोजगार युवा को लुभाने के लिए रोजगार के प्रयास की सख्त जरूरत है।
- संसदीय क्षेत्र में एक बड़ा भाग रेल लाइन से वंचित है। क्षेत्र की जनता पिछले कई वर्षों से रेल लाइन के इंतेजार में बैठी है, लेकिन कोई भी नेता इस ओर सार्थक पहल नही कर पाया और जहां रेल लाइन है भी वहां उन ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं है, जिनकी जनता को जरूरत है।
- प्रदेश में पिछले कई वर्षों से डोडाचूरा के ठेके नहीं हो रहे है। ऐसे में न तो सरकार उसको खरीद रही है और न ही किसान अपने हिसाब से बेच पा रहे है। किसानों की मांग है कि या तो सरकार डोडाचूरा को उचित दाम में खरीदे या डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से निकलकर किसानों को अपने हिसाब से बेचने की छूट दी जाए।
सांसद की उपलब्धि
सांसद सुधीर गुप्ता की उपलब्धियों की बात की जाए तो उन्होंने पहले की तरह ही इस बार भी अच्छे विद्यार्थी के रूप में अपनी उपस्थित दर्ज करवाई है। साथ ही केंद्र सरकार से मिलने वाली सांसद निधि भी 100 प्रतिशत खर्च की है। जिसके चलते उन्हें संसद रत्न अवार्ड भी दिया गया है। इसके साथ ही मंदसौर में मेडिकल कॉलेज मिल जाना क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि में शुमार है। जिसका कार्य अभी प्रगति पर है। लेकिन इनके अलावा सांसद उद्योग और रोजगार को लेकर कोई विशेष प्रयास नहीं कर पाए है। जिसका खामियाजा क्षेत्र के युवाओं को पलायन कर भुगतना पड़ रहा है। कई युवा उच्च शिक्षा और रोजगार को लेकर मेट्रो शहरों की ओर जाने को मजबूर है।
1951 से 2019 तक मंदसौर संसदीय सीट पर ये रहे सांसद
- 1951 में कांग्रेस के कैलाशनाथ काटजू
- 1957 में कांग्रेस के माणकभाई अग्रवाल
- 1962 में भारतीय जनसंघ के उमाशंकर त्रिवेदी
- 1967 में भारतीय जनसंघ के स्वतंत्रसिंह कोठारी
- 1971 में भारतीय जनसंघ के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे
- 1977 में भारतीय लोकदल के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे
- 1980 में कांग्रेस के भंवरलाल नाहटा
- 1984 में कांग्रेस के बालकवि बैरागी
- 1989 में भाजपा के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे
- 1991 में भाजपा के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे
- 1996 में भाजपा के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे
- 1998 में भाजपा के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे
- 1999 में भाजपा के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे
- 2004 में भाजपा के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे
- 2009 में कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन
- 2014 में भाजपा के सुधीर गुप्ता
- 2019 में भाजपा के सुधीर गुप्ता
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