प्रदीप गुप्ता,कवर्धा. इन दिनों धरातल से ज्यादा कागजों पर हरियाली दिख रही है. वन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ो खर्च कर लाखों पेड़ लगाये जाते है. समय समय पर सरकार की ओर से पौधारोपण को लेकर बड़े बड़े आंकड़े भी पेश किये जाते है. जिसे देखने के बाद लगता है कि चारों ओर हरियाली ही हरियाली है, लेकिन ऐसा होता नहीं है.
पौधारोपण के बाद भी लगातार ​हरियाली कम होती जा रही. ऐसे में यह समझ से परे है कि विभाग द्वारा पौधारोपण जमीन पर किया जा रहा है या फिर कागजों पर.

इन दिनों जिले के पंडरिया ब्लाक के सुदूर वनांचल गांव आज चर्चा का विषय बना हुआ है. क्योंकि यह पूरा क्षेत्र विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति समुदाय के लोगों का रहवास क्षेत्र है. यह क्षेत्र जिला मुख्यालय से 90 किमी से अधिक दूरी पर है. ऐसे में यहां शासन की योजनाएं पहुंचती भी है अथवा नहीं, इसकी जानकारी ज्यादातर लोगों को होती ही नहीं है. इन दिनों यह क्षेत्र पौधारोपण के नाम पर हो रही गड़बड़ी के चलते सुर्खियों में है.

पंडरिया रेंज के जंगलों में अवैध कटाई के मामले लगातार सामने आते रहे है, जिसे देखते हुए यहां पौधारोपण के लिए लाखों खर्च किया गया है. वन विभाग द्वारा ग्रीन इंडिया मिशन अंतर्गत अंतिम छोर पर बसे रूखमीदार के जंगल में साल 2015-16 में लगभग 100 हेक्टयेर में पौधा रोपण में किया गया था. लेकिन आज यहां 20 प्रतिशत भी पौधे नहीं है. 32 लाख 45 हजार से अधिक की राशि इस पर खर्च की गई. जिस उद्देश्य के लिए लाखों खर्च किया गया है दो साल भी वह उद्देश्य पूरा होते नजर नहीं आ रहा हैं.

जिसे लेकर विपक्ष के अलावा यहां के ग्रामीणों का भी आरोप है कि पौधारोपण के नाम पर पैसों का बंदरबांट किया गया है. युवक कांग्रेस उपाध्यक्ष तुकाराम का कहना है कि विभाग द्वारा पौधारोपण के अतर्गत जितने पौधे लगाये जाने के दावे किये जा रहे है, उसके आधे पौधें भी नहीं लगाये गये है.

वहीं इस मामले में कवर्धा के प्रभारी डीएफओ दिलराज प्रभाकर पौधारोपण स्थल का जांच किये जाने की बात कह रहे है साथ ही दिन स्थानों पर पौधा नहीं लगाया है वहां फिर से पौधा लगवाने का आश्वासन भी दे रहे है.