रायपुर. कोरबा सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ में बन रहे लेमरू हाथी अभ्यारण्य में हसदेव नदी के मुख्य जल ग्रहण क्षेत्र को शामिल करने की मांग उठाई है. ये बात महत्वपूर्ण है कि सरकार के प्रस्तावित लेमरु रिज़र्व में करीब 2 हज़ार वर्ग किलोमीटर का इलाका शामिल किया गया है. लेकिन उसे अभी तक नोटिफाई नहीं किया गया है. 
सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने इस संबंध में चिंता जताई है कि मोदी सरकार बड़े पैमाने पर कोल ब्लॉक की नीलामी करने जा रही है और राज्य सरकार से कोई परामर्श नहीं किया गया. उन्होंने मोदी सरकार के इस रवैये को संघीय ढांचे पर हमला बताया है. ज्योत्सना ने कहा कि इस नीलामी में हसदेव अभरण्य के भी 5 कोल ब्लॉक शामिल है, जो घने वन क्षेत्र वाले हैं.
सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने कहा कि वर्ष 2015 में कांग्रेस राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरबा जिले के ग्राम मदनपुर, कुदमुरा, पहुचकर आदिवादियो के साथ चौपल लगाकर चर्चा की थी. उन्होंने याद दिलाया कि राहुल के निर्देश पर कांग्रेस पार्टी ने इस पूरे वन क्षेत्र में प्रस्तावित कोल खनन परियोजनाओं को सतत् एवम स्थायी विकास के विपरीत मानकर आदिवासियों को यह भरोसा दिलाया था कि उनका विस्थापन नही होगा और इसी लिए इस क्षेत्र को लेमरू हाथी रिजर्व में शामिल कर इसे संरक्षित किया जाएगा.
सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने कहा कि छत्तीसगढ सरकार द्वारा अपना वादा निभाते हुए लेमरू हाथी अभ्यारण बनाने के प्रस्ताव पर केबिनेट में मंजूरी दी गईं है. क्षेत्र चयन में किन्हीं कारणों से कोल ब्लॉक वाले सबसे समृद्ध वन क्षेत्र ग्राम मदनपुर एंव कुदमुरा परियोजना में शामिल होने से शेष रह गया है.
उन्होंने कहा कि जांजगीर और रायगढ़ जिले को सिंचित करने वाला 
हसदेव नदी पर स्थित बांगो बांध का जल ग्रहण क्षेत्र भी प्रस्तावित रिजर्व में शामिल नही हैं. यदि इस क्षेत्र में कोल खनन शुरू हुआ तो बांध का जल ग्रहण क्षमता पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि  विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र को समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र माना है. जिसे बचाया जाना आवश्यक है.
सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने तत्काल इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि कोरबा क्षेत्र के आदिवासियों एवं वन्य क्षेत्र तथा वन्य जीवों को संरक्षित करने की आवश्यकता हैं, जिससे इस सम्पूर्ण हसदेव अभरण्य क्षेत्र को बचाया जा सके.