मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार के पास इस संकट से देश को निकालने का कोई प्लान नहीं है, इसलिए वो अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और राज्य सरकारों को झूठा साबित कर रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन संकट के समय केंद्र सरकार ने जो गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाकर देश को संकट में डाला, उससे लोग वाकिफ हैं. संकट के दौरान आंखें बंद रख अपनी जिम्मेदारी से बचने की केंद्र सरकार की नीति दोबारा देश के लिए घातक साबित हो सकती है.
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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एक ओर देश पर कोयला संकट और ऊर्जा संकट मंडरा रहा है. इस पर ध्यान देने के बजाय केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और बेहद बेशर्मी से राज्य सरकारों की कोयला संकट को लेकर की गई अपीलों को अफवाह बता रही है. केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ये कह रहे हैं कि देश में कोयले का संकट नहीं है. मनीष सिसोदिया ने कहा कि ये बेहद दुःख की बात है कि केन्द्रीय मंत्री इतने गैर-जिम्मेदार बने हुए हैं. जब देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को आगाह कर रहे हैं कि देश को आने वाले संकट से बचाएं, तो उस दौरान केन्द्रीय उर्जा मंत्री कह रहे हैं कि कोई संकट नहीं है और ये भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोयले के संकट को लेकर प्रधानमंत्री को चिट्ठी नहीं लिखनी चाहिए थी.
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मनीष सिसोदिया ने कहा कि पूरे देश में लोग कह रहे हैं कि देश में कोयले का संकट है, जो ऊर्जा संकट में तब्दील हो सकता है. इससे पूरे देश को एक भयानक संकट झेलना होगा. सारा सिस्टम ठप हो जाएगा. सभी इंडस्ट्री को शटडाउन का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर समय रहते केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करती है, तो देश को दोबारा एक संकट का सामना करना पड़ेगा.
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उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार देश को संकट में डाल रही है. दिल्ली, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात की सरकार केंद्र को आगे आने वाले संकट को लेकर आगाह कर रही है. कई पॉवर प्लांट बंद हो चुके हैं. राज्य सरकारे लम्बे पॉवरकट को प्लान कर रही है, लेकिन इसके बाजवूद केंद्र सरकार अपनी आंखें बंद किए बैठे है. केंद्र सरकार को न तो इस संकट से मतलब है और न ही उसका समाधान करना चाहती है. उन्होंने कहा कि इस समय केंद्र सरकार जिम्मेदार सरकार के रूप में ये स्वीकार करे कि देश में कोयले का संकट है और उसका समाधान निकाले ना कि राज्य सरकारों को झूठा ठहराए.
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