नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह को आज आखिरी विदाई दी गई. बरार स्क्वॉयर पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. उन्‍हें 21 तोपों की सलामी दी गई और फ्लाई पास्‍ट का आयोजन भी किया गया. अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया.

इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बरार स्क्वेयर पहुंचकर मार्शल अर्जन को श्रद्धांजलि दी. इसके अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी वहां पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. सेना के तीनों अंगों के प्रमुख भी अर्जन सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद रहे.

मार्शल अर्जन के सम्मान में आज सभी सरकारी इमारतों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है.

बता दें कि अर्जन सिंह का शनिवार को सेना के रिचर्स ऐंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया था. रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके अंतिम दर्शन किए थे और श्रद्धांजलि दी थी.

वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह का जन्म अविभाजित भारत के लयालपुर में हुआ था. फिलहाल ये पाकिस्तान का फैसलाबाद कहलाता है. इनका जन्म 15 अप्रैल 1919 में हुआ था. अर्जन सिंह औलख फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक हासिल करने वाले इंडियन एयर फोर्स के इकलौते ऑफिसर थे. इंडियन आर्मी में उनके अलावा बस 2 और ऑफिसर्स को फाइव स्टार रैंक मिली थी- फील्ड मार्शल केएम करियप्पा और फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ. जून 2008 में सैम मानेकशॉ के निधन के बाद अर्जन सिंह भारतीय सेना के फाइव स्टार रैंक वाले एकमात्र जीवित ऑफिसर थे.

एयरफोर्स मार्शल अर्जन सिंह पद्म विभूषण से सम्मानित थे. 1965 में इन्हें ये सम्मान दिया गया था.

युद्ध में पाकिस्तान के दांत किए थे खट्टे

1965 की लड़ाई में उन्होंने पाकिस्तान के साथ युद्ध में अपनी जांबाजी दिखाई. इस युद्ध में इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर कई एयरफील्ड्स तबाह कर डाले थे. एयर फोर्स प्रमुख के तौर पर लगातार 5 साल अपनी सेवाएं देने वाले अर्जन सिंह एकमात्र चीफ ऑफ एयर स्टाफ थे. 1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टाफ रहे. 1971 में अर्जन सिंह स्विटजरलैंड में भारत के राजदूत भी रहे. वे वेटिकन सिटी और केन्या में भी राजदूत रहे.

एयर फोर्स के मार्शल अर्जन सिंह अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ा सकते थे. इन्होंने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.