शब्बीर अहमद। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है. साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी. यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज बात सीहोर विधानसभा (sehore assembly) की.
मध्यप्रदेश का सीहोर जिला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह क्षेत्र है. सीहोर जिले में चार विधानसभा है. जिसमें से एक सीहोर विधानसभा है. ये बीजेपी का गढ़ और प्रदेश की अहम सीटों में से है. उम्मीदवार कोई भी हो जीत बीजेपी की होती है. पिछले कई चुनाव का ट्रैक रिकॉर्ड देखें, तो यहां की जनता हमेशा भारतीय जनता पार्टी को विजय बनाती रही है. लेकिन इस बार सियासी समीकरण क्या कहता है, चलिए आपको बताते हैं.
सीहोर विधानसभा सीट का इतिहास
यह सीट 1957 में वजूद में आई थी. उस समय कांग्रेस के उमराव सिंह यहां के विधायक बने. 1972 में भी इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली. अजीज कुरैशी ने चुनाव में जीत हासिल की थी. इस सीट पर 1980 में राज्य के पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा भी जीत चुके हैं. सीहोर सीट पर कांग्रेस को 4 बार, भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी को 1-1 बार जीत मिली. वहीं 5 बार इस सीट पर बीजेपी को जीत मिली. 1972 के बाद सीहोर विधानसभा से प्रदेश के मंत्री मंडल में एक विधायक नहीं पहुंच सका है.
सीहोर विधानसभा सीट से अभी सुदेश राय (Sudesh Rai) बीजेपी से विधायक हैं. सुदेश राय ने पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह ठाकुर को 20,664 वोट से हराया था. सुदेश राय 2013 में निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 2018 में सुदेश राय बीजेपी में शामिल हुए. इसके बाद पार्टी से बीजेपी का टिकट मिला और उन्होंने जीत हासिल की. सुदेश राय पहले कांग्रेस पार्टी में हुआ करते थे, लेकिन 2013 में टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ा था. उससे पहले यहां से लंबे समय तक रमेश सक्सेना बीजेपी से विधायक रहे, लेकिन 2018 में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर वो कांग्रेस में शामिल हो गए.
फसल के दाम और रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा
मुद्दों की बात की जाए, तो विधानसभा क्षेत्र में कई मुद्दे हैं. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा किसानों की परेशानी और रोजगारी है. सीहोर विधानसभा का अधिकतर इलाका कृषि आधारित है. यहां के किसान सरकार से कई मुद्दों पर नाराज हैं. खासकर फसल के दाम और मुआवजे को लेकर. वही युवा उद्योग नहीं होने के कारण दूसरे शहरों में रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर है. युवाओं की मांग है कि भोपाल से सटे होने के बावजूद भी कोई बड़ी फैक्ट्री यहां नहीं है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. रोजगार के लिए उद्योग लगाना चाहिए. जनता मौजूदा विधायक से खुश है.
एससी और मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा
जातिगत आंकड़े की बात की जाए, तो यहां सबसे ज्यादा एससी और मुस्लिम आबादी है. दोनों वर्ग चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. एससी वर्ग और मुस्लिम समाज दोनों 35-35 हजार हैं. इसके अलावा राठौर समाज 10 हजार, 8 हजार ब्राह्मण, 10 हजार यादव, गौर 15 हजार, मेवाड़ा 8 हजार, 7 हजार खाती, 4 हजार लोधी, 7 हजार दांगी और 3 हजार राय समाज के वोटर है. जो कि चुनाव में वोट देते हैं.
सीट पर कांग्रेस, बीजेपी में कई दावेदार
सीहोर विधानसभा सीट पर दावेदारों की बात की जाए, तो बीजेपी और कांग्रेस से कई दावेदार हैं. बीजेपी से सन्नी महाजन, जसपाल अरोरा है. कांग्रेस से पूर्व विधायक रमेश सक्सेना के बेटे शशांक सक्सेना है. सुशांत सक्सेना फिलहाल सीहोर जिले से जिला पंचायत सदस्य हैं. दूसरे दावेदार राजीव गुजराती है. यह सीहोर शहर से पार्षद है.
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक