अमृतांशी जोशी,भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर उतर आए हैं. अब प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर खतरा मंडरा रहा है. एमपी में पहली बार 8 हजार से ज्यादा डॉक्टर्स आंदोलन (doctors strike) की राह पर हैं. (डायनमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) DACP पॉलिसी लागू नहीं होने से 27 जनवरी से आंदोलन के तहत जिलों में यात्रा निकाली जाएंगी. हर जिले में चिकित्सा बचाओ-चिकित्सक बचाओ यात्रा होगी.

6 फरवरी से डॉक्टर कामबंद हड़ताल पर

जानकारी के मुताबिक डाक्टर्स की 10 दिन की यात्रा का समापन भोपाल में होगा. इस बीच सरकार से संवाद नहीं बनने पर 6 फरवरी से डॉक्टर कामबंद हड़ताल पर रहेंगे. संगठनों ने एक साथ मिलकर महासंघ बनाया. एक साथ ये संगठन शामिल होंगे. जिसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग के 3 हज़ार डॉक्टर, स्वास्थ्य विभाग के 5 हज़ार डॉक्टर, मेडिकल ऑफिसर ME के 500 डॉक्टर और ईएसआई के 300 डॉक्टर्स शामिल है.

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मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. माधव हसनी का कहना है कि डॉक्टरों की मांगे हैं, जो लंबे समय से लंबित हैं. पदोन्नति, नियमितीकरण और वेतन निर्धारण समेत कई मांगे हैं. इसलिए हमें आंदोलन की राह पर जाना पड़ रहा है.

क्या है DACP ?

डॉक्टरों की समय-समय पर DACP (डायनमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) के ज़रिए पदोन्नति होती है. वेतनवृद्धि और अच्छा करियर बनाने के लिए DACP में बेहतर अवसर मिलते हैं. 2008 के बाद देश के कई राज्यों में पॉलिसी लागू हो चुकी है. ये स्कीम 14 साल के बाद भी मध्य प्रदेश में अब तक नहीं लागू की गई है. स्कीम ना लागू होने के कारण डॉक्टर की नाराज़गी आंदोलन का रूप ले रही है.

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